इंटरनेट के जरिए मतदाताओं तक पैठ बनाने में जुटे प्रत्याशी

रैली, रोड शो पर रोक से इंटरनेट से लोगों से जुड़े रहे प्रत्याशी

  • फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सअप से जनता तक पहुंचने का प्रयास
  • इंटरनेट मीडिया से प्रचार प्रसार अभियान कर रहे तेज

देहरादून। उत्तराखंड सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे है। इस दौरान कोरोना संक्रमण भी तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना महामारी के कारण चुनाव आयोग ने दलों की रैलियों, रोड शो व बड़ी बैठकों पर रोक लगा रखी है।

रैली और बड़ी सभाएं न होने से पूरा चुनाव प्रचार इंटरनेट मीडिया पर सीमित हो गया है। राजनीतिक दल और नेता इंटरनेट मीडिया के माध्यम से जनता के बीच अपनी पैठ बनाने में लगे हैं।

प्रत्याशियों ने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। वर्तमान में चुनावी मैदान में डटे रहने का सबसे बड़ा औजार इंटरनेट ही है। चाहे वर्चुअल रैली हो या कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करना ही यह सब कुछ घर बैठे-बैठे इंटरनेट की मदद से ही संभव हो पा रहा है।
उत्तराखंड में 14 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। इसके लिए सभी राजनीतिक दल चुनाव मैदान में कूद गए है। भाजपा, कांग्रेस व अन्य दलों ने प्रदेश की 7 विधानसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए हैं।

जबकि कुछ प्रत्याशियों की घोषणा होनी बाकी है। 7 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 59 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए है, जबकि 11 सीटों पर अभी प्रत्याशियों के नामों की घोषणा होनी है। कांग्रेस ने भी 53 सीटों पर प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतार दिए है, जबकि 17 सीटों पर अभी पेंच फंसा हुआ है।

जल्द ही शेष प्रत्याशियों की घोषणा हो जाएगी। वहीं, आप आदमी पार्टी, उत्तराखंड क्रांति दल, सपा, बसपा ने भी कुछ सीटों पर प्रत्याशी चुनावी रण में उतारे हैं। जिन दलों ने अपने प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए है।

उन्होंने चुनाव प्रचार अभियान तेज कर दिया है। कोरोना संक्रमण के चलते पाबंदियों के बीच प्रत्याशियों को मतदाताओं तक अपनी पैठ बनाने की कोशिश की जा रही है। चुनावी सभाओं के आयोजन पर रोक होने और बैठकों में भी संख्या सीमित होने से प्रत्याशियों का पूरा फोकस इंटरनेट मीडिया की ओर हो गया है।

इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म फेसबुक, ट्विटर, वाट्सअप व यू-ट्यूब, इंस्ट्राग्राम के माध्यम से मतदाताओं तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। होगा भी क्यों नहीं, क्योंकि चुनाव आयोग की सख्त पाबंदी होने से लोगों तक पहुंचने का एकमात्र साधन सोशल मीडिया व इंटरनेट ही है।

चुनाव मैदान में भाग्य आजमा रहे सभी प्रत्याशी अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए लोगों से इंटरनेट के माध्यम से जुड़े रहे है और लोगों से अपने पक्ष में मतदान की अपील करने में लग गये है।

इसके अलावा एसएमएस और कॉल के जरिए भी मतदाताओं तक संदेश पहुंचाया जा रहा है। हालांकि, पहाड़ के दुरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी अच्छी न होने से दूरस्थ क्षेत्रों के मतदाताओं तक पहुंच बनाने की बड़ी चुनौती भी है।

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