देहरादून। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल में ‘खाद्य सुरक्षा एवं जलवायु समुत्थान शीलता के लिए धान्य फसलें’ विषय पर तीन दिवसीय प्रथम अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 18 से 20 जनवरी को ऑनलाइन माध्यम से किया गया।
इस संगोष्ठी में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों द्वारा कई समसामयिक महत्वपूर्ण विषयों जैसे फसल सुधार, पादप कार्यकी, अनुवांशिक विविधता और संसाधन का सरंक्षण, जैविक व अजैविक तनाव के विरुद्ध पौधों में प्रतिरोधकता का विकास इत्यदि जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा तथा मंथन हुआ।
इसके साथ देश और विदेश के कई प्रख्यात वैज्ञानिकों ने फसलों से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर अपने अनुसंधान को साझा किया। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा के 2 वैज्ञानिक डा. नवीन चंद्र गहत्याडी तथा डा. देवेन्द्र शर्मा ने प्रतिभाग किया तथा संस्थान में किए गए अपने शोध कार्यों को वैज्ञानिक समुदाय के सम्मुख मौखिक प्रस्तुत किया।
डॉ देवेंद्र शर्मा को अपने प्रस्तुत शोध कार्य “भारत के उत्तर पूर्वी हिमालई क्षेत्रों के स्थानीय मक्का व परंपरागत प्रजातियों में उपस्थित पोषण गुणवत्ता कारको की अनुवांशिक विविधता का विश्लेषण” के लिए सर्वश्रेष्ठ मौखिक प्रस्तुति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
यह शोध कार्य संस्थान के वैज्ञानिक डा. देवेंद्र शर्मा, रमेश सिंह पाल, राजेश कुमार खुल्बे, लक्ष्मीकांत तथा अरुणव पटनायक द्वारा किया गया था। संस्थान के निदेशक डा. लक्ष्मीकांत ने अपने वैज्ञानिक को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। संस्थान के निदेशक डा0 लक्ष्मीकांत को इस संगोष्ठी में प्रतिष्ठित डॉक्टर एम बी राव स्मृति पुरस्कार-2021 प्रदान किया गया।
उनको यह सम्मान गेहूं तथा जौ में उत्कृष्ट शोध तथा इन फसलों की उन्नत प्रजातियां को विकसित करने के लिए दिया गया है। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान निदेशक डा. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने संस्थान के निदेशक तथा वैज्ञानिक को उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।