रुडक़ी। कहते हैं कि प्यार और जंग में सब जायज है। यहां कौन दोस्त, दुश्मन बन जाए और कौन दुश्मन, दोस्त बन जाए यह कह पाना मुमकिन नहीं है। कुछ ऐसा ही हाल इन दिनों राजनीति में देखने को मिल रहा है। चुनावी बिगुल बजने के साथ ही जिले में सियासत चरम पर है। उठापटक का खेल जारी है।
अगर सबसे ज्यादा किसी सीट को लेकर सियासी बयार बह रही है तो वह भगवानपुर विधानसभा सीट है। साल 2015 व 2017 में कांग्रेस के टिकट से ममता राकेश विधायक बनी थी। वह इस बार भी टिकट पाने को लेकर पुरजोर कोशिशों में लगी हैं। अब उनका प्रयास और पिछले पांच सालों में क्षेत्र में कराए गए विकास कार्यों, गतिविधियों से पार्टी कितना संतुष्ट है या नहीं, टिकट मिलेगा या फिर कटेगा यह तो जल्द ही सामने आ जाएगा।
उम्मीद यही है कि कांग्रेस इस बार भी ममता राकेश पर ही दांव लगाएगी। यही हाल इनके देवर सुबोध राकेश का है। पिछली बार 2017 के चुनाव में उन्हें भगवानपुर सीट से भाजपा से टिकट मिला था और अपनी भाभी कांग्रेस की ममता राकेश से हार गए थे। अब चुनावी बिगुल बजा तो चुनाव से ऐन वक्त पहले सुबोध राकेश ने भाजपा को अलविदा कर हाथी की सवारी कर ली।
टिकट के मामले वह कामयाब भी रहे और बसपा ने उन्हें भगवानपुर सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया। अगर कांग्रेस एक बार फिर भगवानपुर सीट से मौजूदा विधायक ममता राकेश को टिकट दे देती है तो 2017 की तरह ही इस चुनाव में भी भाभी देवर चुनावी दंगल में आमने-सामने होंगे। चुुनावी फिजा में ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं।
भगवानपुर सीट में इसको लेकर चुनावी चौसर में भी तेज है। अब सभी की नजरें कांग्रेस टिकट पर टिकी हुई हैं। टिकट फाइनल होने के बाद ही तय होगा कि भाभी देवर का चुनावी दंगल छिड़ेगा या नहीं। दोनों एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी ताल ठोक पाएंगे या नहीं। इसके लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा।
भगवानपुर विधानसभा क्षेत्र की सीट से विधायक ममता राकेश इनके देवर सुबोध राकेश के बीच आमने-सामने चुनाव लडऩे के कयासों के बीच चर्चाएं हैं कि अगर सुबोध राकेश की तरह कांग्रेस ममता राकेश को टिकट देगी तो चुनाव लड़ेंगे जरूर। ज्यादा उम्मीद यही है कि कांग्रेस यहां पर कोई जोखिम नही उठाएगी और ममता राकेश को ही चुनावी मैदान में उतारेगी। यही ऐसा ही होता है तो यहां का चुनावी दंगल काफी दिलचस्प हो सकता है।