बिन्दुखत्ता: न खुदा ही मिला न बिसाले सनम!

लालकुआं। प्रदेश में विस चुनाव प्रक्रिया धीरे-धीरे गतिशील हो रही है। इसी के तहत 56 लालकुआं विधानसभा सीट से भाकपा (माले) के प्रत्याशी बहादुर सिंह जंगी का नामांकन दाखिल कर दिया है। भाजपा, कांग्रेस व यूकेडी ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं, आम आदमी पार्टी ने सेवानिवृत्त एई (पीडब्लूडी) चंद्र शेखर पांडे को अपनी उम्मीदवार घोषित किया है।
इस चुनाव क्षेत्र को मुख्यत: तीन हिस्सों में बांटकर देखा जाता है। बिंदुखत्ता, बरेली व रामपुर रोड एवं गौलापार। दशकों से लंबित अपनी-अपनी समस्याएं हैं जिनका समाधान करने के दावे हर चुनावी सीजन में सभी दलों द्वारा किये जाते हैं लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात हैं।
वन विभाग की जमीन पर बसे बिंदुखत्ता, बागजाला, आमखेड़ा, किशनपुर, सुल्तान नगरी जैसे ग्रामीण इलाकों में ग्राम पंचायतों का गठन तक नहीं हो पाया है। इससे लोग केवल लोकसभा और विस के लिए ही मतदान कर सकते हैं लेकिन वे अपनी ग्राम पंचायत से लेकर क्षेत्र समिति, जिला पंचायत जैसे पंचायती राज व विकास संबंधी निकाय व्यवस्था में हिस्सेदारी से वंचित रह जाते हैं। इन जगहों पर लोगों की पहली जरूरत जमीन का मालिकाना हक है।
इन दो प्रमुख मांगों को लेकर लोग दशकों से सत्ता के दरवाजे खटखटाते रहे हैं लेकिन होता कुछ नहीं। फिलहाल इन गांवों में थोड़ा से विकास कार्य विधायक निधि-सांसद निधि से हो जाते हैं, बस। इस विस सीट में बिन्दुखत्ता निर्णायक बनता रहा है, जहां लगभग 32 हजार मतदाता हैं।
पृथक राज्य गठन के बाद निर्वाचित पहली सरकार के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व में क्षेत्रीय विधायक हरीश चन्द्र दुर्गापाल ने बिन्दुखत्ता में विकास के दरवाजे खोलकर नया इतिहास रच दिया। यहां पक्की सड़कें, बिजली, अस्पताल, राइंका, गन्ना सेंटर, गेहूं तुलाई केंद्र, बैंक, डाकघर आदि से क्षेत्र में ऐसी रौनक आ गई कि पांच साल में बिन्दुखत्ता का जैसे कायापलट ही हो गया।

Leave a Reply