सावधान ! घातक बन रहा कोरोना वायरस का स्वरूप

देहरादून व आसपास के मैदानी इलाकों में तेजी से हो रहा प्रसार

  • शुक्रवार को जिले में मिले कोरोना संक्रमण के 1489 नए मामले, चार की मौत
  • विशेषज्ञ चिकित्सकों की राय घबराएं नहीं, बरतें सावधानी व सतर्कता
देहरादून । जिस तेजी से कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है वह कहीं न कहीं तीसरी लहर के जल्द पीक पर पहुंचने के संकेत हैं। देहरादून व आसपास के मैदानी इलाकों में वायरस ज्यादा कहर बरपा रहा है।
एक तरफ संक्रमण के मामले बढऩे का क्रम जारी है, वहीं संक्रमित मरीजों की मौत के मामले भी रोजाना सामने आने लगे हैं। शुक्रवार को जनपद देहरादून में 1489 और लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं। जबकि चार संक्रमित मरीजों की मौत भी हुई है।
श्री महंत इंदिरेश अस्पताल व सिनर्जी अस्पताल में एक-एक तथा एम्स ऋषिकेश में दो मरीजों ने दम तोड़ा। कोरोना के एक्टिव मरीजों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है। जिले में अब कोरोना के सक्रिय मामले बढक़र 1१ हजार से अधिक हो गए हैं।
कोविड चिह्नित अस्पतालों में भी हर रोज नए संक्रमित मरीज भर्ती हो रहे हैं। इस बीच कुछ राहत यह कि संक्रमित मरीजों के ठीक होने की दर अच्छी है। गंभीर लक्षण वाले मरीजों को ही अस्पताल में ज्यादा दिन भर्ती रहना पड़ रहा है। जबकि हल्के अथवा मध्यम लक्षण वाले मरीज तीन-चार दिन बाद अस्पताल से डिस्चार्ज हो जा रहे हैं। लेकिन पिछले चार-पांच दिन से जिस तरह संक्रमित मरीजों के मौत के मामले सामने आने लगे हैं वह चिंता का विषय है।
क्योंकि वायरस के जिस नए स्वरूप के पहले ज्यादा खतरनाक नहीं माना जा रहा था वह अब घातक होता दिख रहा है। ऐसे में डेल्टा व आेमिक्रोन के सामूहिक अटैक का खतरा भी बना हुआ है। विशेषज्ञ चिकित्सकों का भी कहना है कि कोरोना से घबराने की बात नहीं है, पर संक्रमण से बचाव के लिए सावधानी व सतर्कता बरतनी जरूरी है। इसके लिए बेहतर यही कि सरकार द्वारा बनाई गई गाइडलाइन का पूरा पालन किया जाए।
मास्क पहनकर ही घर से बाहर निकलें और भीड़ वाले इलाकों में जाने से बचा जाए। कोरोना के नए वैरिएंट आमिक्रोन को कतई हल्के में न लें। क्योंकि यह तेजी से फैल रहा है। एक संक्रमित व्यक्ति कईयों को संक्रमित कर सकता है। कुल मिलाकर विशेषज्ञों की राय पर अमल कर वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है। वरना, जिस तरह लोग लापरवाही बरत रहे हैं वह संक्रमण का तेजी से प्रसार करने में मददगार बन रहा है। क्योंकि लोग ना ही कोरोना बचाव के लिए तैयार की गई एसोपी का पालन कर रहे हैं और ना ही लक्षण दिखने पर आरटीपीसीआर जांच करवा रहे हैं। इन परिस्थितियों के साथ ही चुनावी मौसम में वायरस का संक्रमण और फैलने का भय बना हुआ है।

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