गोपेश्वर। कर्णप्रयाग सीट पर कांग्रेस दावेदारों के बीच चल रही खींचतान के चलते प्रत्याशी का चयन आलाकमान के लिए गले की फांस बन गया है। इस कारण प्रत्याशी के चयन को लेकर आलाकमान फूंक-फूंक कर चल रहा है।
कर्णप्रयाग के पूर्व विधायक डा अनुसूया प्रसाद मैखुरी के निधन के बाद कांग्रेस में दावेदारों की बाढ़ सी आ गई है। इस कारण टिकट को लेकर दावेदारों में जबर्दस्त खींचतान चल रही है। वैसे भी राज्य बनने के बाद कर्णप्रयाग सीट एक बार ही कांग्रेस के कब्जे में रही है। वर्ष 2002, 2007 तथा 2017 में कर्णप्रयाग सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है। वर्ष 2012 में कांग्रेस ने बदरीनाथ के विधायक रहे डा अनुसूया प्रसाद मैखुरी पर दांव चला और यह सीट कांग्रेस की झोली में आ गई।
2017 की मोदी लहर में फिर यह सीट भाजपा की झोली में चले गई। कर्णप्रयाग सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके डा मैखुरी के अचानक निधन के पश्चात इस सीट के समीकरण पूरी तरह गड़बड़ा गए हैं। इस बार के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस की ओर से गौचर निकाय के दो बार अध्यक्ष रहे युवा तुर्क में शामिल मुकेश नेगी ने दावेदारी को लेकर पिछले एक साल से अधिक समय से सक्रियता बनाई है। इस बीच नंदा राजजात समिति के महामंत्री व पूर्व राज्य मंत्री भुवन नौटियाल ने भी दावेदारी तेज की है।
इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस महामंत्री हरिकृष्ण भट्ट, पूर्व दायित्वधारी सुरेश कुमार बिष्ट व सुरेंद्र सिंह बिष्ट सूरी, वरिष्ठ नेता सुरेश कुमार डिमरी, जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मण सिंह बिष्ट, पूर्व ब्लाक प्रमुख कमल सिंह रावत तथा महिला कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष इंदु पंवार की दावेदारी भी टिकट को लेकर बनी है। हालांकि इस बीच पूर्व विधायक डा मैखुरी की पत्नी सावित्री मैखुरी की ओर से भी दावेदारी सामने आने से सियासत ने करवट बदल दी है।
इससे पूर्व कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी रहे मनीष खंडूड़ी की दावेदारी भी सामने आई थी किंतु बताया जा रहा है कि अब उन्होंने अपनी दावेदारी से हाथ पीछे खींच लिए हैं। कांग्रेस में चल रही जबर्दस्त खींचतान के चलते आलाकमान के सामने प्रत्याशी का चयन करना चुनौती बना हुआ है।
ऐसा इसलिए कि इस सीट पर भाजपा का पहले से ही दबदबा रहा है और अगर प्रत्याशी के चयन में जरा सी भी चूक हुई तो फिर चुनावी मुकाबला ही ठहर कर रह जाएगा। इसलिए एक एक सीट को कब्जाने के लिए चल रही कसरत के बीच कांग्रेस आलाकमान भी प्रत्याशी चयन को लेकर फूंक-फूंक कर चल रहा है। वैसे भाजपा में भी हालात कमोबेश इसी तरह के बने हुए हैं।
बताया जा रहा है कि भाजपा ने तो तीन दावेदारों का पैनल तैयार कर संसदीय बोर्ड को भेज दिया है। कांग्रेस के पैनल को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। ऐसे में देखना यह है कि कांग्रेस अब प्रत्याशी चयन का आधार क्या बनाती है। हालांकि दावेदार हैं कि दावेदारी से पीछे हटने को तैयार ही नहीं हैं।
इस तरह के हालात कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। अब देखना यह है कि कांग्रेस प्रत्याशी चयन को लेकर किस तरह के कदमों के साथ आगे बढ़ती है। इस पर ही कांग्रेस की सियासत का भविष्य तय होगा। फिलहाल तो कर्णप्रयाग सीट पर प्रत्याशी का चयन करना कांग्रेस के लिए गले की फांस बना है।