ममता सिंह
असम के सिलचर शहर के प्रख्यात पत्रकार, लेखक, समाजसेवी ज्योति लाल चौधरी (78) नहीं रहे। आपको बीते 2 जनवरी को सिलचर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कार्डियक प्रॉब्लम की वजह से भर्ती कराया गया था। जहां 7 जनवरी रात करीब 10ः10 बजे आपने अंतिम सांस ली।
आपने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री हासिल की थी। आप सिलचर के कछार कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे। आप महान स्वतंत्रता सेनानी और नेता महतोष पुरकायस्थ के भांजे थे।
अंग्रेजी दैनिक ‘द सेंटिनल’ के बराक घाटी के ब्यूरो प्रमुख होने के साथ साथ अंतिम समय तक किताबें लिखने में व्यस्त थे। आपने अपने जीवनकाल में दर्जनों किताबंे लिखीं जिनमें ‘हिस् ट्री ऑफ जर्नलिज्म इन बराक वैली’ और ‘ग्लिम्सेस ऑफ ब्रिटिश राज इन बराक वैली’ काफी चर्चित हुई। कई समाजसेवा के कार्यों से भी जुड़े रहे हैं।
साल 2017 में लोक सभा टेलीविजन के कार्यक्रम की शूटिंग के सिलसिले में सिलचर गई थी, वहां आपसे मुलाकात हुई। उसके बाद से ही आपने हमेशा मेरा मार्गदर्शन किया। आप उन खास लोगों में से एक रहे जिनके मार्गदर्शन की वजह से मैं पूर्वोत्तर राज्यों की जटिल समस्याओं को करीब से समझ पाई और काम कर पाई।
अभी बीते 24 दिसम्बर को ही तो आपसे अंग्रेजों के खिलाफ चाय जनजातीय लोगों के विद्रोह के बारे में लंबी बातचीत हुई थी। उसके बाद दो बार आपको कॉल किया, पर रिसीव नहीं हुआ। कल रात से ही आपकी भेजी गई किताबें ढूंढ रही थी, फिर सोचा आज बात करके आपकी नई किताबें मंगा लूंगी। और शाम होते-होते आपके न होने की खबर ने स्तब्ध कर दिया।
शिक्षा, समाज
“ॐ शांति शांति “