- सोनिया की छह दिन पुरानी पोस्ट में आखिर किसके लिए है नाराजगी
देहरादून। काबीना मंत्री डा. हरक सिंह रावत की बेहद करीबी सोनिया आनंद ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। सोनिया ने गत रात्रि दिल्ली में प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थाम लिया। सोनिया के कांग्रेस में जाने के बाद हरक सिंह रावत को लेकर भी कई तरह की खुसर-पुसर शुरू हो गयी है।
उल्लेखनीय हैं कि सोनिया आनंद हरक सिंह रावत के बेहद करीबी लोगों में से एक हैं। ऐसे में चुनाव से पहले बड़ी उथल पुथल के संकेत भी समझे जा सकते हैं। सोनिया आनंद का अखिल भारतीय कांग्रेस मुख्यालय पहुंचना और वहां वरिष्ठों की मौजूदगी में कांग्रेस ज्वाइन करने के पीछे कोई मजबूत पैरवी मानी जा रही है।
हालांकि सोनिया आनंद राजनीति के क्षेत्र में कोई बड़ा नाम तो नहीं है और उनकी पहचान हरक सिंह के करीबी और एक गायक के रूप में है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि उन्होंने मसूरी विधानसभा से टिकट की दावेदारी भी पेश की है।
इस बात को लेकर अभी ठोस तरीके से कुछ भी नहीं जा सकता कि उन्हें कांग्रेस में भेजने में हरक की भूमिका है या वे अपने माध्यमों से ही कांग्रेस के राष्ट्रीय मुख्यालय तक पहुंची। सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाली सोनिया आनंद की छह दिन पुरानी एक पोस्ट को देखकर बहुत कुछ समझा जा सकता है।
इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है ‘भगवान राम जी तो 14 साल के वनवास के बाद घर लौट आये थे और मेरा वनवास भी 14 का हो गया, लेकिन तिरस्कार जारी है। मतलब भगवान ने कुछ बड़ा सोचा है’।
इस पोस्ट का यह भी अर्थ निकाल जा रहा है कि हरक सिंह जहां लैंसडौन से अपनी बहू और रुद्रप्रयाग से अपनी करीबी लक्ष्मी राणा के लिए टिकट की जबरदस्त पैरवी कर रहे हैं, शायद सोनिया आनंद के लिए न की हो।
ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सोनिया आनंद ने हरक की सिफारिश से राजनीतिक सीढियां चढ़ने का सपना पूरा न होने की स्थिति में खुद ही अपना रास्ता चुन लिया, या फिर यह राजनीति के घाघ माने जाने वाले हरक सिंह रावत का कोई सोचा समझा राजनीतिक पैंतरा है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों हरक सिंह रावत ने कैबिनेट की बैठक में खुले आम नाराजगी जताने के बाद मंत्री पद छोड़ने का ऐलान कर प्रदेश की सियासत में भूचाल ला दिया था।
हालांकि अगले ही दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ डिनर के बाद उन्हें अट्टहास पूर्ण ठहाके लगाते भी देखा गया था। हरक के इस अट्टहास के पीछे का रहस्य तब तक बरकरार रहेगा, जब तक कि वे किसी दल से नामांकन न भर लें, क्योंकि अभी भी उनके भाजपा छोड़ कांग्रेस में जाने की खुसर-पुसर राजनीतिक हलकों में जारी है।
बताया जा रहा है हरक ने कैबिनेट भले ही कोटद्वार मेडिकल कालेज के बहाने छोडी थी, लेकिन अंदरखाने वे उनके परिजनों को टिकट की गारंटी न मिलने से नाराज थे।