असम : 2021 में छाये रहे हिमंत, बने मुख्यमंत्री

  • पुलिस मुठभेड़ों और सीमा विवाद की होती रही चर्चा
  • ड्रग्स, इनकाउंटर, पशु संरक्षण व हिदुंत्व एजेंडे को लेकर बढ़े आगे
  • कांग्रेसी विधायकों को अपने पाले में कर लिखी नई राजनीतिक इबारत

असम में 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सत्ता में वापसी की लेकिन नेतृत्व में परिवर्तन हुआ और पूर्वोत्तर में पार्टी के मजबूत चेहरे हिमंत विश्व शर्मा मुख्यमंत्री बने। उन पर सुरक्षा स्थिति से निपटने में सख्ती करने के भी आरोप लगे। इस साल मार्च-अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव में शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पार्टी का नेतृत्व किया और कांग्रेस और बदरुद्दीन अजमल भी एआईयूडीएफ सहित 10 दलों के विपक्षी गठबंधन को हराया।

भाजपा ने शर्मा को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर पेश नहीं किया था लेकिन पार्टी का पूर्वाेत्तर में आधार बढ़ाने के अलावा असम में दोबारा जीत दिलाने में मदद करने और संगठनात्मक स्तर पर कुशलता का पुरस्कार देते हुए उन्हें राज्य भी कमान सौंपी गई।
वर्ष 2016 से असम के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहे सोनोवाल को राज्यसभा चुनाव में निर्विरोध चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में जहाजरानी और आयुष मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। शर्मा ने असम के मुख्यमंत्री बनने के अपने लंबे समय से निर्धारित लक्ष्य को जब हासिल किया तो उन्होंने पुलिस को ‘खुली छूट’ दी जिसका नतीजा रहा कि नियमित मुठभेड़ की खबरें आती रहीं।

शर्मा की सरकार ने उल्फा जैसे प्रतिबंधित समूहों से भी बातचीत की, जबकि पदभार ग्रहण करने के शुरूआती कुछ महीने पड़ोसी राज्य से सीमा विवाद को लेकर पैदा हुए तनाव को कम करने में गुजरे। उन्होंने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान भी राज्य का नेतृत्व किया और सुनिश्चित किया कि स्वास्थ्य अवसंरचना का उन्नयन हो और टीकाकरण की प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके।
शर्मा द्वारा कानून प्रवर्तकों को ‘खुली छूट’ देने का असर हुआ कि पुलिस के साथ 80 मुठभेड़ में विभिन्न आपराधिक मामलों में वांछित 32 लोगों की मौत हुई, जबकि कम से कम 57 अन्य घायल हुए। विपक्ष ने आरोप लगाया कि शर्मा के शासनकाल में पुलिस ‘बंदूक चलाने में खुशी महसूस भरने वाली’ बन गई है लेकिन मुख्यमंत्री इससे प्रभावित नहीं हुए और जोर देकर कहा कि प्राधिकारियों को ‘कानून के दायरे में रहकर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने भी पूरी आजादी है।

उन्होंने मादक पदार्थों की तस्करी भी रोकने के आदेश दिए जिसके बाद पूर्वाेत्तर के इस राज्य में करोड़ों रुपए के मादक पदार्थ जब्त किए गए और उन्हें सार्वजनिक रूप से जलाया गया।
शर्मा की सरकार पर मुस्लिमों को भी निशाना बनाने का आरोप लगा फिर चाहे समुदाय से जुड़े ‘अतिक्रमण करने वालों’ पर कार्रवाई हो या फिर उन्हें आबादी नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन को अंगीकार करने की सलाह देना हो। इसके अलावा सख्त गौ संरक्षण कानून पारित किया गया।

इस साल सितंबर में दरांग जिले में पुलिस और अतिक्रमण करने वालों में हुई झड़प के दौरान दो लोगों की मौत हो गई थी। यह झड़प अतिक्रमण हटाने के दौरान हुई थी। इस घटना में 20 अन्य घायल हुए थे। पूरे प्रकरण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिससे विवाद पैदा हुआ।

मुख्यमंत्री बनने के पहले ही दिन शर्मा ने प्रतिबंधित संगठन अल्फा से वार्ता की पेशकश की और संगठन के प्रमुख परेश बरुवा ने तीन बार एकतरफा संघर्ष विराम बढ़ाकर इसका जवाब दिया। बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (बीआरटी) और तीन पहाड़ी जिलों डिमा हसाओ, कार्बी आंग्लांग और पश्चिम कार्बी आंग्लांग में अपनी गतिविधियों का संचालन करने वाले एक हजार से ज्यादा उग्रवादियों ने अपने हथियारों केे साथ आत्मसमर्पण किया।
भाजपा नीत पूर्वाेत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन के संयोजक और पार्टी के इलाके में प्रमुख संकटमोचक शर्मा के सामने सबसे पहली बड़ी चुनौती असम-मिजोरम सीमा पर हिंसा के बाद उत्पन्न हुई, जब जुलाई में कछार जिले में छह पुलिस कर्मियों एवं एक आम नागरिक की हिंसा में मौत हो गई थी।

सरकार द्वारा इस मुद्दे भो सुलझाने के लिए समिति गठित करने के बावजूद अंतर राज्यीय सीमा विवाद की तपिश जारी है। असम सरकार ने मेघालय, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश से सीमा विवाद सुलझाने के लिए कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री ने सीमा विवाद को क्षेत्र के विकास में ‘सबसे बड़ी बाधा’ करार दिया है। राज्य की वर्ष 2021 में भी कोविड-19 महामारी से लड़ाई जारी है।

इस साल अब तक कुल 5,118 संक्र्रमितों की मौत हुई है, जबकि पिछले साल महामारी से 1,037 लोगों की जान गई थी। कुल संक्रमितों की संख्या भी पिछले साल के 2,15,939 केे मुकाबले इस साल 6,20,081 हो गई है। अब तक राज्य में कोविड रोधी टीके की 3,67,14,946 खुराक दी जा चुकी है जिनमें से 2,16,88,360 पहली खुराक और 1,50,26,586 दूसरी खुराक के तौर पर दी गई है।

महामारी की विभीषिका के बीच भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 60 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि उसके साझेदार असम गण परिषद और यूपीपीएल ने क्रमशः नौ और छह सीटें हासिल की। विपक्षी ‘महाजोत’ जो चुनाव के बाद बिखर गया है 126 सदस्यीय विधानसभा में 50 सीटों पर जीत दर्ज कर सका।
तेज तर्रार नेता और कार्यकर्ता माने जाने वाले अखिल गोगोई ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज भी। वह राज्य के पहले नेता बने हैं जो जेल से चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे हैं। शर्मा लगातार विधानसभा में अपना संख्याबल बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं और इसमें वह सफल भी हुए हैं।

कांग्रेस के मरियानी से विधायक रूपज्योति कुर्मी और थावड़ा से विधायक सुशांत बरगोहाईं के साथ-साथ एआईयूडीएफ के भवानीपुर से विधायक फणी तालुकदार ने पाला बदला और भाजपा में शामिल हुए और उपचुनाव में जीत दर्ज की। कांग्रेस के राहा से विधायक शशि दास ने भी घोषणा की है कि वह अपनी पार्टी में रहते हुए भाजपा का समर्थन करेंगे।

शर्मा ने लगातार विपक्ष के हमलों का भी सामना किया जो आरोप लगा रही है कि रियल एस्टेट कंपनी, जिसकी सह संस्थापक उनकी पत्नी रिनिकी भुइयां शर्मा और भाजपा किसान मोर्चा के नेता रणजीत भट्टाचार्य हैं, ने गैर कानूनी तरीके से सरकारी जमीन कब्जा किया है।
इसी प्रकार, इस साल अन्य खबरों में महत्वपूर्ण रहा असम की मुक्केबाज लवलीना बरगोहाईं का तोक्यो ओलंपिक में ओलंपिक में कांस्य पदक जीतना। वह राज्य की पहली महिला हैं जिन्होंने ओलंपिक में पदक जीता है।

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