नयी दिल्ली। सोनोवाल ने पूर्वोत्तर में कृषि की संभावनायें तलाशने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक विशेषज्ञ समूह से मुलाकात की है। आयुष मंत्रालय नेबताया कि विशेषज्ञ समूह ने सोनोवाल को किसानी के मौजूदा तरीकों और उनके आर्थिक तथा पारिस्थितिकीय उपयोगिता के बारे में जानकारी दी।
खेती संबंधी विभिन्न पक्षों जैविक खेती और प्राकृतिक खेती पर चर्चा की गई। इन सभी पक्षों पर क्षेत्र के आर्थिक और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकन किया गया। रविवार देर शाम को हुई इस बैठक में कहा गया कि कृषि आधारित उन्नति के जरिये पूरे क्षेत्र तथा स्थानीय लोगों की पारिस्थितिकीय तथा आर्थिक जरूरतों को अवश्य पूरा किया जाना चाहिये। विशेषज्ञ समूह का नेतृत्व असम कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बिद्युत डेका ने किया।
बैठक में असम कृषि विश्वविद्यालय के बाहरी शिक्षा निदेशक डॉ. पी के पाठक, विश्वविद्यालय के अनुसंधान सह निदेशक डॉ. एम सैकिया, कृषि अर्थव्यवस्था के विभागाध्यक्ष डॉ. के. पाठक, एचआरएस काहीकुची के प्राचार्य डॉ. एस. पाठक, नलबाड़ी के प्राकृतिक खेती करने वाले किसान जयंत मल्ला बुजरबरुआ, मिरजा के जैविक किसान बनमाली चौधरी तथा तेतेलिया एग्रो आर्गनिक प्रोड्यूसर्स के तकनीकी सलाहकार इंजीनियर कृष्णा सैकिया ने हिस्सा लिया।
सोनोवाल ने विशेषज्ञ समूह से आग्रह किया कि वे जैविक और प्राकृतिक खेती की उपयोगिता पर एक समग्र रिपोर्ट तैयार करें, ताकि वह एक विस्तृत योजना बनायी जा सके तथा सरकार के उच्चतम स्तर पर होने वाली भावी नीति संबंधी चर्चाओं में उसका उपयोग किया जा सके।
यह रिपोर्ट को असम कृषि विश्वविद्यालय के निर्देशन में तैयार होगी जिसमें जैविक तथा प्राकृतिक खेती करने वाले राज्य के सफल कृषि-उद्यमियों के अनुभवों को शामिल किया जायेगा। साथ ही पूर्वोत्तर क्षेत्र की तुलनात्मक पड़ताल को भी इसमें रखा जायेगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा,‘‘ आधुनिक प्रौद्योगिकी और विशेष तकनीकों का इस्तेमाल सूझ-बूझ के साथ किया जाना चाहिये ताकि हमारे क्षेत्र में होने वाली खेती का अधिकतम लाभ लिया जा सके।
हमें अपनी जड़ों से सीखना होगा तथा आधुनिक तकनीक अपनानी होगी, ताकि हम सतत विकास हासिल कर सकें। इसे हमारे क्षेत्र के पारिस्थितिकीय संतुलन का ध्यान रखना होगा और साथ ही हमारे किसान समुदाय के लिये आर्थिक समृद्धि प्राप्त करने में योगदान करना होगा।