हरीश रावत के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी कांग्रेस 

सभी नेताओं को उन्हें सहयोग करने के निर्देश

  • नहीं बदलेंगे प्रभारी, सीएम का चयन सोनिया करेंगी
देहरादून। दिल्ली दरबार तक पहुंची उत्तराखंड कांग्रेस की लड़ाई का पटाक्षेप राहुल
गांधी के साथ मीटिंग होने के बाद हो गया है। इस बैठक में तय हुआ कि चुनाव
हरीश रावत के नेतृत्व में ही होंगे और अन्य सभी लोग उन्हें सहयोग करेंगे। प्रीतम सिंह के गुट के लिए फिलहाल इतनी राहत है कि सीएम का चयन चुनाव बाद सोनिया गांधी करेंगी।
शुक्रवार को दिल्ली तलब किये गये सभी 10 नेताओं ने आज पहले राष्ट्रीय महामंत्री संगठन वेणुगोपाल के साथ मीटिंग की। उसके बाद राहुल गांधी ने सभी से वन टू वन बात की। वन टू वन मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने बाहर आकर सबको फैसला सुनाया कि चुनाव की कमान हरीश रावत के हाथ में रहेगी और सभी उन्हें सहयोग करेंगे।
सूत्रों का कहना है कि रावत को भी सबको साथ लेकर चलने की सलाह दी गयी है। राहुल गांधी ने बड़ी समझदारी के साथ प्रीतम सिंह के नेतृत्व वाले दूसरे गुट को यह कहकर राहत दी है कि मुख्यमंत्री का चयन चुनाव बाद पार्टी अध्यक्ष करेंगी। इसके साथ ही अभी फिलहाल प्रभारी देवेन्द्र यादव को भी बनाये रखने का निर्णय राहुल गांधी ने सुनाया, लेकिन प्रभारी को निर्देश दिये गये हैं वे कैंपेनिंग कमेटी के अध्यक्ष हरीश रावत को पूरा सहयोग दें।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मध्यस्थता के बाद पार्टी का ताजा संकट टल गया है। आलाकमान ने यद्यपि कोई नया फैसला नहीं लिया और सब कुछ पुराना ही है, लेकिन  हरीश रावत की इस शिकायत का था कि उन्हें सहयोग नहीं मिल रहा। ऐसे में पुराने फैसलों को ही दोहराये जाने के बाद भी यह माना जा रहा है कि रावत के नेतृत्व में चुनाव जीतने के निर्देश देकर पार्टी ने उन्हें काफी हद तक फ्रीहैंड भी कर दिया है।
राहुल गांधी से मिलने वालों में प्रभारी देवेंद्र यादव, हरीश रावत, पीसीसी अध्यक्ष गणेश गोदियाल, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल, सांसद प्रदीप टम्टा, पूर्व मंत्री यशपाल आर्य, किशोर उपाध्याय, काजी निजामुद्दीन, पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी व करन माहरा भी थे।

रावत के नेतृत्व में होंगे चुनाव : गोदियाल

दिल्ली बैठक के बाद प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव हरीश रावत के नेतृत्व में ही होंगे। उन्होंने कहा कि सभी वरिष्ठ कांग्रेस जनों को उन्हें सहयोग करना होगा। गोदियाल ने कहा कि कांग्रेस में कोई मतभेद नहीं है, कुछ बातें थी, उन पर चर्चा हो गयी है और हम पूरी ताकत के साथ भाजपा को सत्ता से बाहर करके दम लेंगे।

मैं उत्तराखंड की बेहतरी के लिए काम करूंगा: हरीश

 दो दिन पहले ट्वीट बम धमाका करने के बाद आज हरीश रावत काफी संतुष्ट नजर आये। आलाकमान के द्वारा उनके नेतृत्व में ही चुनाव होने की घोषणा के बाद रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको तय करने का विशेषाधिकार हमेशा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास होता है। चुनाव के बाद विधानमंडल दल की राय पर अध्यक्ष सीएलपी लीडर का नाम तय करता है। रावत ने कहा कि उन्हें किसी से कोई नाराजगी नहीं थी। वे कांग्रेस के लिए काम करेंगे और उत्तराखंड की बेहतरी के लिए अपना जीवन लगा देंगे।

देवेंद्र यादव फ्रीहैंड नहीं, गहलोत को पर्यवेक्षक बनाया

प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल व चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत के द्वारा प्रभारी के पद से देवेंद्र यादव को हटाने की मांग भले ही चुनावी माहौल को देखते हुए नहीं मानी गयी, लेकिन यादव अब पहले की तरह फ्री हैंड नहीं होंगे। चुनाव के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पर्यवेक्षक बना दिया गया है। यही नहीं प्रभारी को निर्देश भी दिये गये हैं कि चुनाव कैंपेनिंग कमेटी के अध्यक्ष हरीश रावत को पूरा सहयोग करें। चुनाव के राजनीतिक मैदान में अशोक गहलोत व हरीश रावत जैसे धाकड़ नेताओं के रहते हुए अब यह संभव भी नहीं है कि प्रभारी फ्री हैंड काम कर सकें।

व्यवहारिक रूप में देखा जाए तो कुछ नहीं बदला

कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत के धमाके के बाद जिस तरह देहरादून से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस में हंगामा बरपा था, उसे देखते हुए किसी बड़े फैसले की आहट भी दिख रही थी, लेकिन असल में देखा जाए तो व्यावहारिक रूप से कुछ नहीं बदला। सिर्फ एक ही बात नयी दिखी है, वह यह है कि सबको निर्देश दिये गये हैं कि सब चुनाव लीड कर रहे हरीश रावत को सहयोग करें।
बाकी की एक्सरसाइज को देखा जाए तो यह कहा जा सकता है कि खोदा पहाड$ और निकली चुहिया। मसलन हरीश रावत पहले ही चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष बनाये जा चुके थे। उनके निशाने पर प्रभारी देवेंद्र यादव थे, लेकिन फिलहाल यादव अपनी कुर्सी पर जमे हुए हैं। हां, इतना है कि उन्हें शायद यह पहली बार कहा गया होगा कि वे हरीश रावत को सहयोग करें। नया फिलहाल इतना ही हुआ है कि अशोक गहलोत से जैसे वरिष्ठ नेता को पर्यवेक्षक बनाकर एक तरह से यादव का काम बांटने की कोशिश की गयी है। हालांकि आज राहुल गांधी के बैठक के नतीजों को लेकर कुछ कहना जल्दबाजी होगी

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