नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश स्थानीय निकायों के चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित सीटों को ‘सामान्य’ श्रेणी में तब्दील करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ ने आरक्षण के लिए जरूरी प्रक्रियाओं यानी तीन स्तरों पर परीक्षण किये बिना ओबीसी के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू करने को कानून के खिलाफ बताते हुए रोक लगायी।
शीर्ष न्यायालय ने ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य श्रेणी की तब्दील करने लिए राज्य चुनाव आयोग पुन: अधिसूचना जारी और चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ाये।
अदालत ने स्थानीय निकायों में ओबीसी सीटों के आरक्षण के मद्देनजर मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयोग द्वारा जारी चार दिसंबर, 2021 की चुनाव अधिसूचना पर रोक की एक याचिका पर सुनवायी के बाद यह आदेश दिया।
पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार और राज्य चुनाव आयोग को संविधान के मुताबिक ग्राम पंचायत एवं नगर निगमों के चुनाव कराने का दिया। अदालत ने यह भी कहा कि यदि कानून के मुताबिक चुनाव नहीं कराये गये तो उन्हें रद्द कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि तीन स्तरों पर परीक्षण का अर्थ – राज्य के स्थानीय निकाय स्तर पर पिछड़ेपन की प्रकृति जानने के लिए एक आयोग बनाने, उस आयोग की सिफारिशों के आधार पर निकायों में आवश्यक आरक्षण का अनुपात तय करने और किसी भी हालत में हर प्रकार के आरक्षित कुल सीटों की संख्या 50 फीसदी से अधिक नहीं होने से है। गौरतलब है कि शीर्ष न्यायालय ने 15 दिसंबर को इसी प्रकार का आदेश महाराष्ट्र स्थानीय निकायों के चुनाव के संदर्भ में दिया था।