नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तकनीकी विकास का लोकतांत्रिक व्यवस्था के सशक्तीकरण के लिए उपयोग करने पर बल दिया है। मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जोसेफ आर बिडेन की अध्यक्षता में लोकतंत्र पर शिखर सम्मेलन में वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से भाग लिया।
इस सम्मेलन में विभिन्न देशों की सरकारों, सिविल सोसाइटी और निजी क्षेत्र के नेताओं ने भाग लिया।विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते भारत हमेशा से अन्य लोकतांत्रिक देशों के साथ अपने अनुभवों को साझा करता आया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने मोदी को सम्मेलन के मुख्य सत्र में शामिल होने का निमंत्रण दिया था जिसकी अध्यक्षता स्वयं बिडेन ने की। प्रचार माध्यमों के लिए प्रतिबंधित इस सत्र में भारत सहित 12 चुनींदा देश शामिल हुए। दूसरे सत्र की मेजबानी यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सूला वोन डेर लियेन ने की।
सूत्रों के अनुसार मोदी ने आज अपने वक्तव्य में कहा कि आज से 75 वर्ष पहले भारत की संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी।
उन्होंने भारत के सभ्यतागत मूल्यों को रेखांकित किया जिनमें लोकतंत्र का मूल स्रोत निहित है। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था के प्रति सम्मान और बहुलतावादी मूल्य लोकतांत्रिक भावना भारतीयों के दिलो-दिमाग में बसी हुई है।