नयी दिल्ली। लोकसभा में हज समिति के गठन और हज उड़ान के स्थानों को कम करने का मुद्दा कांग्रेस और बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) के सदस्यों ने जोरशोर से उठाया।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बसपा के कुंवर दानिश अली के पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि कोरोना महामारी की वजह से पिछले दो साल से हज नहीं हो सका है और सरकार के विभिन्न विभागों और एजेंसियों की मदद से इस साल हज यात्रा के लिए तैयारियां की जा रही है।
हज समिति के गठन का मामला अदालत में विचारधीन है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में भारत से सबसे अधिक यात्री हज यात्रा पर गये हैं। उनकी सरकार में हज के संबंध में कई सुधार किये गये हैं जिसमें बिना महरम के महिलाओं को हज यात्रा पर जाने की अनुमति दी गयी है।
उन्होंने कहा कि भारत ऐसा देश है जहां हज प्रक्रिया को शत-प्रतिशत डिजिटल बनाया गया है। इससे पारदर्शिता आई और बिचौलियों को खत्म किया गया है। नकवी ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि हज सब्सिडी बहुत दिनों से राजनीतिक छलावा थी।
उन्होंने कहा कि हज सब्सिडी खत्म करने के बाद हमारी सरकार की नेक नियति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हज किराया नहीं बढ़ा है। इससे यह साफ हो गया कि हज प्रबंधन में पहले जो गड़बड़झाला होता था उसे खत्म कर दिया गया है।
कुंवर दानिश अली ने अपने पूरक प्रश्न में कहा कि हज सब्सिडी खत्म करने के समय सरकार ने यह दावा किया था कि इससे बच्चे पैसे का उपयोग लड़कियों की शिक्षा पर किया जाएगा लेकिन इस पैंसे का कहा उपयोग हो रहा पता नहीं चलता है।
अली ने हज उड़ान के स्थानों के कम करने का भी मुद्दा उठाया। द्रमुक के टीआर बालू ने भी चेन्नई से हज यात्रियों के उड़ान को पुन: शुरू करने की मांग करते हुए कहा कि सरकार की तरफ से इस मामले में कोई उचित जवाब नहीं आया है।
नकवी ने इसके जवाब में कहा कि इस साल विशेष परिस्थितियों में हज की तैयारी हो रही है। इस मामले में हम लोगों को सऊदी अरब के द्वारा दिये गये गाइडलाइन का भी पालन करना होगा क्योंकि हज के लिए यात्री सऊदी अरब जाते हैं।