
देवभूमि पर शिक्षा प्राप्त करना बड़े सौभाग्य की बात
राष्ट्रपति ने उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि आलस्य और प्रमाद को त्याग कर आप सब योग-परंपरा में उल्लिखित‘अन्नमय कोश’, ‘मनोमय कोश’ और‘प्राणमय कोश’ की शुचिता हेतु सचेत रहेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज जब हम आज़ादी का अमृत महोत्सव बना रहे हैं, तब हमें अपने ऐसे विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों को और भी अधिक प्रोत्साहन देना चाहिए जो हमारी संस्कृति को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में नई ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं। यह विशेष रूप से उल्लेखनीय तथ्य है कि पतंजलि विश्वविद्यालय में छात्रों की अपेक्षा बेटियों की संख्या अधिक है।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से. नि.) ने कहा कि आज हम सभी देवभूमि वासियों के लिये सौभाग्य और प्रसन्नता का क्षण है। महामहिम राष्ट्रपति की उपस्थिति से आज यह विद्या और ज्ञान का मन्दिर पंतजलि विश्वविद्यालय तथा हमारा पूरा उत्तराखण्ड परिवार गरिमामय हो गया है।
राज्यपाल ने कहा कि स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने योग एवं आयुर्वेद को दुनियाभर में एक नई पहचान दी है। वे बधाई के पात्र है। स्वामी रामदेव जी ने आयुर्वेद व योग का महत्व पूरी दुनिया को बताया। वे योग एवं आयुर्वेद के माध्यम से हेल्थ सेक्टर में क्रांति लाए हैं।
राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत समारोह का अर्थ शिक्षा की समाप्ति नही है। शिक्षा तो जीवनभर निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। आज पूरा विश्व असीमित संभावनाओं और अवसरो से युक्त है। युवा पीढ़ी से अपेक्षाएं है कि आउट ऑफ द बाक्स थिकिंग और अपनी नई कल्पनाओं के साथ प्रत्येक क्षेत्र में असीमित परिणाम देंगे। मुझे यह देखकर खुशी होती है कि आज बड़ी संख्या में युवा संस्कृत भाषा, योग, आयुर्वेद, नैचुरोपेथी तथा प्राचीन भारतीय विधाओं को पढ़ना और सीखना चाहते हैं। ऐसे युवा यदि इन्फोर्ममेशन टेक्नॉलॉजीए डिजिटिजेशन, सोशल मीडिया एवं मास मीडिया में भी विशेषज्ञता प्राप्त कर लेते हैं तो यह हमारी प्राचीन विधाओं को नई ऊंचाईयों तक ले जाएंगा। युवाओं के द्वारा सोशल मीडिया तथा मास मीडिया का सदुपयोग इन समृद्ध विधाओ के प्रचार प्रसार किया जा सकता है। मेरा मानना है कि योग और आयुर्वेद के विद्यार्थी हमारी सभ्यता, संस्कृति के ब्राण्ड अम्बेसडर भी हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति का देवभूमि और गंगा नगरी में आगमन पर स्वागत करते हुए कहा कि हमारे महामहिम राष्ट्रपति का जीवन एक प्रेरणा पुंज के समान है। ये हमें बताता है कि व्यक्ति में यदि दृढ़ संकल्प, आत्मविश्वास, साहस और इच्छाशक्ति हो तो वो बड़े से बड़े लक्ष्य को भी हासिल कर सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम जहां एकत्रित हुए हैं ये वो स्थान है जिसने दुनिया भर योग के प्रचार-प्रसार को एक नया आयाम और एक नया विस्तार दिया है। जिस प्रकार महर्षि दधीचि के तप का उपयोग कर वज्र का निर्माण हुआ उसी प्रकार स्वामी रामदेव अपने संघर्ष और तप से योग, प्रणायाम, अध्यात्म और स्वदेशी चिंतन की पताका को पूरे विश्व में फहरा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज योग भारतीय संस्कृति के ध्वजारोहक के रूप दुनिया भर में इस सत्य को पुर्नःस्थापित कर चुका है कि भारतीय परम्पराएं, भारतीय दर्शन और हमारे ऋषि मुनियों द्वारा अपनाई और तय की गई जीवन पद्धति कितनी वैज्ञानिक और हितकारी थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पथ प्रदर्शक दीनदयाल उपाध्याय ने जो ’अंत्योदय’ का जो मन्त्र हमें दिया है लगातार उसको अपना कर हम अपनी योजनाओं को आगे बढ़ा रहे हैं। इस दिशा में हमें सफलता भी मिली है और हमारी ये यात्रा निरंतर जारी है। उत्तराखंड उन सपनों को साकार करने की राह पर आगे बढ़ रहा है जो सपने इसके निर्माण के दौरान देखे गए थे। एक सैनिक पुत्र होने के नाते, मैं उत्तराखंड के सैनिक परिवारों की अपेक्षाओं और उम्मीदों को पूरा करने के लिए भी प्रयत्नशील हूं। हम निरंतर उन कामों को कर रहे हैं जिनका सीधा सरोकार जनता से है, उनकी भलाई से है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी पूरी कोशिश है कि वर्ष 2025 में जब हम राज्य स्थापना के 25 वर्ष का जश्न मना रहे होंगे तब तक हम उत्तराखंड को हर क्षेत्र में नंबर वन बना लेंगे। प्रधानमंत्री जी ने भी कहा है और मैं भी उनके ही कथन को दोहरा रहा हूं कि आने वाला दशक उत्तराखंड का दशक होगा और इस दशक में हम आप सभी के सहयोग से नई बुलंदियों को छुएंगे।
प्रदेश की जनता ने हमेशा हम पर विश्वास जताया है और मुझे पूरी आशा है कि उनका ये विश्वास हम पर आगे भी यूं बना रहेगा।