वाशिंगटन।अमेरिका ने चीन और पाकिस्तान की 16 संस्थाओं सहित कुल 27 विदेशी संस्थाओं तथा लोगों को व्यापार सूची की ब्लैकलिस्ट में डाल दिया है।
अमेरिका ने यह कदम ‘पाकिस्तान के असुरक्षित परमाणु गतिविधियां या बैलेस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में मदद करने के लिए उठाया है।
चीन की आठ प्रौद्योगिकी संस्थाओं को इस सूची में जोड़ा गया है जिससे अमेरिका की बढ़ती प्रौद्योगिकी को पीआरसी की क्वांटम कम्प्यूटिंग को बचाती है, जिसका कार्य सेना एप्लीकेशन का सहयोग करना है, ये है काउंटर-स्टील्थ और काउंटर सबमरीन एप्लिकेशन और इस तकनीक को तोड़ने की क्षमता और उसे इससे बचाने की तकनीक से जुड़ी है।
बयान में कहा गया, ये पीआरसी आधारित प्रौद्योगिकी तकनीक पिपल्स लिबरेसन आर्मी की सेना को आधुनिकीकरण में सहयोग करता है और अमेरिका आधारित सेना अप्लिकेशन को कब्जा में करने की कोशिश करता है।
अमेरिका ने ब्लैकलिस्ट हुई इन संस्थाओं के निर्यात पर भी रोक लगा दी है क्योंकि यह पीआरसी उत्पादक इलैक्ट्रोनिक के वह उपकरण बनाते है जोकि पिपुल्स लिबरेशन आर्मी के आधुनिकीकरण में सहयोग करता है।
ब्लैकलिस्ट हुई 27 संस्थाओं में कुछ संस्था जापान और सिंगापुर की हैं जबकि एक रूस से संबंधित है, जिन्हें मिलिट्री एंड-यूजर (एमईयू) सूची में शामिल किया गया था।
अमेरिका की वाणिज्य सचिव जीना एम. राइमोंडो ने बयान में कहा,‘‘वैश्विक व्यापार और वाणिज्य का मकसद शांति, समृद्धि और अच्छे वेतन वाली नौकरियां का समर्थन करना है, ना कि राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालना।
सरकार का ये फैसला पीआरसी में अमेरिकी प्रौद्योगिकी का विभाजन करेगा और रूस सेना की उन्नति एवं गैर-प्रसारिक चिंताएं जैसे पाकिस्तान की परमाणु गतिविधियां और बैलेस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के लिए कारगर होगा। वाणिज्य विभाग प्रतिबद्ध है, राष्ट्रीय सुरक्षा की देखभाल के लिए निर्यातों को नियंत्रण करने के लिए।