नयी दिल्ली । समुद्री सुरक्षा पर जोर देते हुए उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि महासागर समृद्धि के मार्ग है और इन तक सब राष्ट्रों की पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए और इन्हें पारंपरिक तथा गैर पारंपरिक खतरों से मुक्त रखा जाना चाहिए।
नायडू ने कंबोडिया में आयोजित हो रहे 13वें एशिया – यूरोप शिखर सम्मेलन को आनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि तेजी से वैश्वीकृत होती दुनिया में समुद्री सुरक्षा का बहुत महत्व है।
महासागर समृद्धि के मार्ग हैं और सभी राष्ट्रों तक उन तक पहुंच पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों तरह के खतरों से मुक्त और बाधामुक्त होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुक्त, खुले और सुरक्षित समुद्री व्यापार, अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर समुद्री विवादों का शांतिपूर्ण समाधान, प्राकृतिक आपदाओं और समुद्री खतरों का सामूहिक सामना, समुद्री पर्यावरण और समुद्री संसाधनों के संरक्षण और प्रोत्साहन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
यह शिखर सम्मेलन कल शुरू हुआ और इसका विषय ‘साझा विकास के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना’ है। उप राष्ट्रपति ने कल भी सम्मेलन को संबोधित किया था।
नायडू ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने वर्तमान वैश्विक प्रणाली, विशेष रूप से स्वास्थ्य प्रणाली और आपूर्ति श्रृंखला में कई कमियों को उजागर किया है। इनको दूर करने के लिए एक बहुपक्षीय और सहयोगात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
कोविड महामारी के खिलाफ संघर्ष में भारत के योगदान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया की आबादी के छठें हिस्से में संक्रमण का फैलाव नियंत्रित कर दुनिया को सुरक्षित बनाने में भारत ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उन्होंने कहा कि भारत जरूरतमंद देशों को टीकों के वैश्विक निर्यात को फिर से शुरू करने की प्रक्रिया में है। जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत के प्रयासों का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने का मार्ग जलवायु न्याय के माध्यम से संभव है, जिसके लिए देशों को एक बड़ी और दीर्घकालिक नीति बनाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि महामारी के बाद के दौर में एक अलग दुनिया हमारा इंतजार कर रही है। कोरोना महामारी के प्रभाव से निपटने में एशिया और यूरोप के देशों को एक साथ लाने में एशिया – यूरोप शिखर सम्मेलन की महत्वपूर्ण भूमिका है।