नयी दिल्ली । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे 40वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में सोमवार का दिन बिहार के नाम रहा ।
बिहार के उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने इस व्यापार मेले में बिहार दिवस समारोह और बिहार मंडप का शुभारंभ किया और कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य नई ऊँचाईयों को छू रहा है।
इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद मनोज तिवारी और बिहार विधान परिषद सदस्य संजय मयुख भी मौजूद थे।
आत्मनिर्भर भारत की थीम पर हो रहे 40वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में बिहार ने भी अपनी प्रदर्शनी को ‘आत्मनिर्भर गांव’ के जरिए ‘आत्मनिर्भर बिहार’ के लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से जोड़ा है और बिहार मंडप में इसी थीम पर राज्य के हस्तशिल्पियों और बुनकरों द्वारा तैयार उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई है। हुसैन ने कहा कि बिहार के गांवों में जो हुनर है वो पूरे देश के लिए एक मिसाल है। बिहार के ग्रामीण इलाकों में रह रहे हस्तशिल्पियों और बुनकरों द्वारा तैयार की गई चीजें ऐसी हैं कि इससे देश दुनिया में बिहार का मान बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि चाहे मधुबनी पेटिंग, मंजूषा कला जैसी बिहार की पारंपरिक लोककलाकारी की कृतियां हों या बिहार के बुनकरों द्वारा तैयार सिल्क, खादी व अन्य चीजों के उत्पाद झ्र इनसे राष्ट्रीय स्तर पर तो बिहार की पहचान बनी ही है, इन उत्पादों की गुणवत्ता और कलाकारी से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बिहार अपनी जगह बना रहा है।
उद्योग मंत्री ने बताया कि बिहार मंडप में एक जीवंत प्रदर्शनी अभी कुछ दिनों पूर्व ही पद्मश्री से सम्मानित हुईं विश्व प्रसिद्ध मधुबनी पेटिंग की लोक कलाकार दुलारी देवी के द्वारा दी जा रही हैं जो कि पूरे देश के युवा/युवतियों के लिए प्रेरणा और आकर्षण का केंद्र है।
उन्होंने कहा कि बिहार मण्डप में 41 स्टाल लगाये गए हैं झ्र इनमें से 21 स्टॉल हस्तशिल्पियों और 20 स्टॉल बुनकरों के हैं । ये दोनों ही बिहार की पहचान हैं और इनके हुनर और इनकी उद्यमिता ने हमेशा हम सब राज्यवासियों को गौरवांवित किया है।
5 स्टॉल धारक ऐसे भी हैं जिन्हें बिहार स्टार्ट अप नीति 2017 के अंतर्गत लाभ प्राप्त हुआ और वे एप्लिक कला, सुजनी कला और मधुबनी पेटिंग की कलाकारी को अत्याधुनिक प्रबंधन कौशल के साथ आगे बढ़ा रहे हैं । इनमें से एक ने तो टेरोकोटा मिक्स मीडिया के विधा के साथ अपने उत्पादों को गांव से देश के बड़े महानगरों तक पहुंचाया है।
उन्होंने कहा कि बिहार की पारंपरिक विधा यानी जड़ी वर्क, लाह चूड़ी, बेंत, बांस शिल्प, मंजूषा कला की मिसाल पेश करने वाली चीजें मेले में सुर्खियां बन रही हैं तो रेशम या सिल्क औरÞ हैंडलूम वस्त्रों की प्रदर्शनी तो हमेशा ही आकर्षण का केंद्र रहती हैं।