नयी दिल्ली । समुद्री परिदृश्य में नयी चुनौतियां उत्पन्न हो रही है जिनसे निपटने के लिए नौसेना की ताकत बढ़ाया जाना जरूरी है। वाइस एडमिरल घोरमडे ने सम्मेलन में प्रोजेक्ट 15बी के तहत पहले विध्वंसक पोत विशाखापट्टनम और कलवारी श्रेणी की पनडुब्बी वेला को नौसेना में कमीशन किए जाने की घोषणा के मौके पर यह बात कही।
विशाखापट्टनम पोत को 21 नवंबर तथा वेला पनडुब्बी को 25 नवंबर को मुंबई स्थित नौसेना के डॉकयार्ड में कमीशन किया जाएगा। नौसेना प्रमुख ने कहा कि समुद्री परिदृश्य जटिल हो रहा है और इसमें निरंतर नए ‘प्लेयर’ जुड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में शक्ति का वैश्विक और क्षेत्रीय संतुलन तेजी से बदल रहा है और यह बदलाव सबसे अधिक तेजी से हिंद महासागर में हो रहा है।इसे देखते हुए नौसेना की ताकत बढ़ाए जाने की जरूरत है जिससे कि बदलती चुनौतियों का सामना किया जा सके।
उन्होंने कहा कि नौसेना वर्ष 2027 तक 200 युद्धपोत और पनडुब्बी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही है और उम्मीद है कि इसमें सफलता मिलेगी।
उन्होंने कहा कि नौसेना एकीकृत क्षमता विकास प्रणाली पर भी काम कर रही है और इसके लिए अन्य दोनों सेनाओं के साथ तालमेल के आधार पर प्राथमिकताओं को तय किया जाएगा ।
नौसेना उप प्रमुख ने कहा कि अभी नौसेना के बेड़े में 130 युद्धपोत और पनडुब्बी हैं जबकि 390 प्लेटफार्म का विभिन्न शिपयार्ड में निर्माण किया जा रहा है। नौसेना के दो युद्धपोतों का निर्माण रूस में भी चल रहा है।
उन्होंने कहा कि विशाखापट्टनम और वेला का कमीशन किया जाना युद्धक प्लेटफार्म बनाने की भारत की क्षमता की यात्रा में महत्वपूर्ण पड़ाव है ।