केदारपुरी में स्थानीय पंडो, पुरोहितों द्वारा पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र से दुर्व्यवहार पर अब देहरादून में भी शिकायत दर्ज
देहरादून। पिछले 1 नवम्बर को पवित्र केदारनाथ धाम में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ स्थानीय पंडो, पुरोहितों द्वारा दुर्व्यवहार एवं उन्हें दर्शन किये बिना लौटाये जाने की घटना समाप्त होते नहीं दिखती।
इस घटना की सोशल मीडिया में सबने निंदा की। कुछ लोगों ने इसको अन्य घटनाओं से जोड़ने की कोशिश भी की। किन्तु अधिकांश जनता का मत ये है कि किसी भी मंदिर में अपने आराध्य के दर्शन-पूजा करने से नहीं रोका जाना चाहिये।
भारत का संविधान भी यही कहता है। दशकों पूर्व अनुसूचित समाज के लोगों को मंदिरों में प्रवेश से वंचित किये जाने की प्रथा भी समाप्त हो गई है।
इस प्रकार बिना दर्शन के किसी को लौटाना पुनः एक विकृत परंपरा को जन्म दे सकता है। केदारधाम में त्रिवेंद्र के साथ हुई घटना के विरोध में विभिन्न संगठनों ने दर्ज कराई शिकायत।
हजारों वर्ष पुराने सनातन / हिन्दू धर्म की परंपरा रही है अतिथि देवो भव:। इसके विपरीत अनेकों श्रद्धालुओं के सामने एक चुने हुए जनप्रतिनिधि को अपमानित कर दर्शन करे बिना लौटाना बहुत ही अशोभनीय है। इसकी समाज के सभी वर्गों ने कड़ी निंदा की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार देहरादून के प्रमुख व्यापारी संगठन एवं अधिवक्ताओं ने इस घटना की निंदा करते हुए उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक को शिकायत दर्ज कराई है। कुछ ही दिन पहले इसी संबंध में हरिद्वार में भी एक शिकायत दर्ज करायी गई थी।