देहरादून। उत्तराखंड में कांग्रेस अलग जिलों के नाम पर चल रहे आंदोलन के बहाने सरकार को घेरने की तैयारी में है। इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने संकेत भी दे दिए हैं।
रावत ने विधानसभा चुनाव से पहले वादा किया है कि यदि वो सत्ता में आती है तो दो साल के भीतर नए जिले बनाएगी।
कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष पूर्व सीएम हरीश रावत का यह बयान जिलों की राजनीति गरमाने की मुहिम का हिस्सा है।
नए जिलों पर रावत ने भाजपा को भी घेरा है कि यदि वो कोई निर्णय करती है तो कांग्रेस सरकार में आने पर चुनावी साल का इंतजार नहीं करेगी। दो साल के भीतर ही नए जिलों पर काम पूरा कर लिया जाएगा।
रावत ने कहा कि डीडीहाट, रानीखेत, पुरोला के लोग अपने जिलों के लिए काफी व्यग्र हैं। अपने जिलों को लेकर कोटद्वार, नरेंद्र नगर,काशीपुर और गैरसैंण, बीरोंखाल, खटीमा के लोगों में भी है। इन क्षेत्रों को जिले का स्वरूप देना आवश्यक है।
रावत लिखते हैं कि कांग्रेस सरकार में वर्ष 2016 में सौ करोड़ की व्यवस्था इन जिलों को बनाने के लिए की गई थी। कतिपय राजनैतिक दबावों के कारण एक क्षेत्र के दूसरी क्षेत्र से प्रति की कारण ये जनपद अस्तित्व में नहीं आ पाये।
रावत ने कहा कि यदि वर्तमान सरकार नए जिलों पर निर्णय नहीं लेगी तो कांग्रेस शासन के अंतिम वर्ष के लिए इंतजार नहीं करेंगे।
अंतिम वर्ष में किसी जिले को खोलना राजनैतिक बेमानी भी है।
आप आने वाली सरकार के लिए वह काम सौंप देते हैं तो कांग्रेस इस काम को सत्ता में आने के 2 वर्ष के अंदर पूरा कर देगी। ताकि एक बार प्रशासनिक व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चल सकें।
जब हम छोटे राज्य की बात करते हैं तो प्रशासनिक इकाइयां भी छोटी करनी पड$ती हैं, इसलिये कांग्रेस ने 37 से ज्यादा तहसीलें और उप तहसीलें बनाई, नगरपालिकाएं बनाई। यह विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया राज्य के लिए आवश्यक है।
रावत ने कांग्रेस संगठन से भी अपील की कि वो घोषणापत्र में इस बिंदु पर जरूर विचार-विमर्श करें कि किस तरीके से हम लोगों की इस विकेंद्रीत शासन व्यवस्था की आकांक्षा को पूरा कर सकते हैं।