सेना के जवानों ने बचाई एक हजार लोगों की जान

पिछले दिनों आई आपदा में देवदूत बनकर प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे जवान

  • गुलमर्ग स्थित हाई एल्टीट्यूड इंस्टीट्यूट से भी पहुंची थी एक टीम
देहरादून । सेना के जवान विकट परिस्थितियों में सरहद पर तैनात रहते हुए देश की रक्षा तो कर ही रहे हैं, मुसीबत की घड़ी में भी जवान देवदूत बनकर जरूरतमंद लोगों की मदद को हाथ आगे बढ़ा रहे हैं।
उत्तराखंड में बीती 18 व 19 अक्टूबर को आई आपदा में भी सेना के जवानों ने प्रभावित इलाकों में करीब एक हजार लोगों की जान बचाई है। यही नहीं पिंडारी व सुन्दरढूंगा ग्लेशियर में लापता हुए  को सकुशल लाने के लिए रेस्क्यू अभियान भी चलाया।
इस बात की जानकारी मंगलवार को उत्तराखंड सब एरिया मुख्यालय के कर्नल (जनरल स्टाफ) समीर शर्मा ने मीडियाकर्मियों को दी। बताया कि बतौर नोडल आफिसर खुद उन्होंने भी आपदा प्रभावित इलाकों में मोर्चा संभाला है।
कर्नल जीएस ने बताया कि 17 अक्टूबर की शाम को मौसम का मिजाज बिगड़ने व राज्य में आपदा आने की संभावना की सूचना सेना को मिल गई थी। राज्य सरकार व स्थानीय प्रशासन ने भी सेना से समन्वय किया। जिसके बाद गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में अलग-अलग स्थानों पर तैनातसेना की ब्रिगेड को अलर्ट मोड पर रखा गया। नैनीताल, रामगढ़,टनकपुर, ऊधमसिंह नगर आदि जगह आपदा का असर अधिक रहा।
धारचूल स्थित पंचशूल ब्रिगेड व चौबटिया में तैनात सैन्य टुकड़ी को तत्काल प्रभाव से प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की मदद के लिए रवाना किया
गया। बताया कि अधिकांश स्थानों पर सडक़ें पूरी तरह तबाह हो चुकी
थी।

पैदल चलने को भी रास्ता नहीं था,  जवानों ने हिम्मत नहीं हारी

पैदल चलने को भी रास्ता नहीं था। फिर भी जवानों ने हिम्मत नहीं हारी और प्रभावित इलाकों में पहुंचकर दिन-रात राहत व बचाव कार्य में जुटे रहे। गुलमर्ग स्थित हाई एल्टीट्यूट इंस्टीट्यूट से भी सेना की एक टीम बुलाई गई थी।
एसडीआरएफ, पुलिस व स्थानीय प्रशासन से निरंतर समन्वय बनाकर फंसे हुए लोगों व पर्यटकों को सकुशल निकाला गया। कहा कि सेना ने इस दौरान कम से कम एक हजार लोगों की जान बचाई है। प्रभावित इलाकों में मेडिकल व भोजन की व्यवस्था भी सेना द्वारा की गई थी।

सब एरिया के जनरल आफिसर कमांडिंग मेजर जनरल एस खत्री ने भी राहत व बचाव कार्य में जुटी रहे सेना के जवानों द्वारा किए गए कार्य की सराहना की है।

सीएसडी कैंटीनों की प्रक्रिया में बदलाव

सेना द्वारा संचालित की जाने वाली सीएसडी कैंटीनों में आने वाले दिनों में काफी बदलाव होने की संभावना है। बताया जा रहा है कि सीएसडी कार्डधारक सैनिकों, पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों की सहूलियत के लिए डिजिटल प्लेटफार्म को प्रयुक्त करने पर जोर दिया जा रहा है।
वर्तमान में कार्डधारक वेबसाइट पर अपने सामान (ग्रोसरी) की अग्रिम बुकिंग कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में उन्हें सीएसडी कैंटीन में अधिक समय इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा भी उपलब्ध है। बताया जा रहा है कि आगामी समय में सामान की ऑनलाइन बुकिंग के साथ ही सामान की होम डिलिवरी के फार्मूले पर भी काम किया जा रहा है।

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