चार अंकों की गिरावट के साथ शिशु मृत्यु दर में सुधार
उत्तराखंड में शिशु मृत्यु दर 31 से घटकर 27 प्रति एक हजार स्तर पर
- एसआरएस बुलेटिन के अनुसार स्वास्थ्य सेवाओं में हो रहा निरंतर सुधार
देहरादून । रजिस्ट्रार जनरल सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर वर्ष 2019 के किए गए सर्वे पर आधारित एसआरएस बुलेटिन-2021 जारी कर दिया गया है।
इस बुलेटिन के अनुसार उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की प्रगति सुधार की ओर इंगित हो रही है। राज्य की शिशु मृत्यु दर में चार अंकों की गिरावट दर्ज हुई है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य की शिशु मृत्यु दर अब 27 प्रति हजार जीवित जन्म के स्तर पर आ गई है। पूर्व में राज्य में शिशु मृत्यु दर 31 प्रति हजार के स्तर पर थी।
एनएचएम की मिशन निदेशक सोनिका ने बताया कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में निरंतर सुधार हो रहा है। शिशु मृत्यु दर में भी सुधार हुआ है। कहा कि वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर शिशु मृत्यु दर 31 प्रति हजार जीवित जन्म है जो उत्तराखंड से तीन अंक अधिक है।
कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन शिशु स्वास्थ्य की देखभाल हेतु संचालित हो रही योजनाओं को कारगर बनाए जाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
मिशन द्वारा शिशु स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु ग्रास रूट स्तर पर विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। जिसमें महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग व पंचायती राज विभाग के साथ निरंतर समन्वय करते हुए शिशु स्वास्थ्य सेवाओ की निगरानी एवं उन्हें प्रभावी बनाए जाने की रणनीति के अनुसार कार्य किए गए हैं।
सरकारी अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव के लिए सभी सेवाओं को बेहतर बनाय गया है। अस्पतालों में ही प्रसव कराए जाने के लिए आशा व एएनएम द्वारा समुदाय के साथ प्रभावी संवाद स्थापित किया गया है।
जिसके परिणामस्वरूप अब अधिक संख्या में गर्भवती महिलाएं प्रसव हेतु अस्पतालों में आ रही हैं। कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती माता व बच्चों के टीकाकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
प्रसव उपरांत नवजात शिशु की विशेष देखभाल के लिए हल्द्वानी व रुद्रपुर में दो नए सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट स्थापित किए गए हैं। पांच अतिरिक्त यूनिट वर्ष 2022 तक संचालित हो जाएंगे।
हेल्पलाइन नंबर 104 को चौबीस घंटे कार्यशील बनाया गया है। मिशन द्वारा प्रमुख चिकित्सालयों में पांच शिशु रोग विशेषज्ञों की तैनाती की गई है।
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