नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोगों और समितियों में बड़ी संख्या में खाली पड़े पदों पर बार-बार आदेश के बावजूद नियुक्तियां नहीं करने पर राज्य एवं केंद्र सरकारों को एक बार फिर फटकार लगाई है और कहा कि यदि वे इन आयोगों और संस्थानों को नहीं चलाना चाहती तो इन्हें बंद कर दे।
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि बार-बार आदेश देने पर भी सरकार खाली पदों को भरने में दिलचस्पी नहीं ले रही है।
पीठ ने कहा कि नियुक्तियों के लिए सरकार को आदेश देने में हमारी काफी ऊर्जा लगती है। यह अच्छी स्थिति नहीं है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था।
सुनवाई के बाद 11 अगस्त को राज्य, केंद्र और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को आदेश दिया था कि वे शिकायत निवारण आयोग और समितियों के खाली पदों को 8 सप्ताह में भर दे। लेकिन सरकारों पर ताजा अदालती आदेशों का कोई असर नहीं हुआ।
इसी वजह से पीठ ने आज सख्त टिप्पणियां की। पीठ ने कहा कि उपभोक्ता निवारण आयोगों और समितियों में बड़ी संख्या में मामले लंबित है। इस वजह से संबंधित लोग परेशान हो रहे हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि खाली पदों को भरने की याचिकाओं पर सरकारों को बार-बार आदेश देना दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। ऐसा नहीं होना चाहिए।
गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने भी इन नियुक्तियों को लेकर सरकारों की उदासीनता पर उन्हें फटकार लगाई थी। लेकिन इसका कोई असर दिखाई नहीं दिया।