- अचानक हुए हृदय परिवर्तन से राजनीतिक हलकों में बेचैनी
देहरादून। पिछले कई दिनों से सियासी गलियारों की टीआरपी में टॉप पर रहे कैबिनेट मंत्री डा. हरक सिंह रावत का आज अचानक हृदय परिवर्तन हो गया।
एक दिन पहले तक पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत के खिलाफ जमकर जहर उगल रहे हरक सिंह ने आज यकायक पलटी मारते हुए हरीश रावत के चरणों में नतमस्तक होने और उनकी हर गाली भी आशीर्वाद होने की बात कह कर सनसनी फैला दी।
रावत ने आज चैम्पियन व हरीश रावत के साथ गिले शिकवे दूर करने की कोशिश की। चैम्पियन के उस बयान पर कि हरक सिंह ने उनके साथ धोखा किया है।
हरक ने कहा कि चैम्पियन उनका छोटा भाई है। कहा वो गाली गाली दे देंगे तो भी सहन कर लूंगा। अब हरीश भाई नहीं सहन कर पाता, तो क्या हरक सिंह तो कर सकता है।
कोई तो रावत होना चाहिए जो सहन कर ले। हरक सिंह ने कहा कि चैम्पियन कुछ भी बोल दे, सात खून माफ है। उसका और मेरा प्रेम कम नहीं होगा। पूर्व सीएम हरीश रावत के लिए उन्होंने कहा कि हरीश भाई बड़ा भाई है।
हरीश भाई आज मुझे चोर बोल दे, अपराधी बोल दिया और कुछ भी बोल दे, भगवान, मैं तो हरीश भाई के चरणों में नतमस्तक हूं। वो कुछ भी बोल सकते हैं, उनको सारे खून माफ हैं।
अंत में यह भी कहा कि मैं वापसी की माफी नहीं मांग रहा। आपका हर शब्द हमारे लिये आशीर्वाद है।
आज अचानक हरक सिंह रावत का हृदय परिवर्तन होने के पीछे के कारणों पर सियासी गलियारों में विश्लेषण होने लगा है। एक दिन पहले तक हरीश रावत को खुली चुनौती दे रहे हरक सिंह रावत ने हरीश रावत को बड़ा भाई बताते हुए फूल बरसाने शुरू कर दिये।
यह वाकई चौंकाने वाला इसलिए है कि हरक सिंह दो दिन पहले ही कहा था कि हरीश रावत ने महिलाओं को पैसे देकर उनको फंसाने की कोशिश की थी। इसके बाद हरक सिंह ने यह भी कहा था कि वे कांग्रेस में जब मर्जी जा सकते हैं और हरीश रावत में उनको रोकने की हिम्मत नहीं है। इसके बाद आज अचानक आए इस बदलाव के निहितार्थ निकालने की कोशिशें हो रही हैं।
हरीश रावत से पंजाब का प्रभार वापस लेकर उत्तराखंड में फ्री हैंड करने की अटकलों के बाद हरक सिंह का यह बयान क्या वाकई हरीश रावत के साथ तालमेल बढ़ाने की कोशिश है या फिर पर्दे के पीछे कुछ और ही चल रहा है, यह कहना भी मुश्किल है।
हरक सिंह को करीब से जानने वाले भी इस परिवर्तन को संदेह की नजरों से देख रहे हैं। माना जाता है कि हरक सिंह रावत राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं और वे अंतिम समय तक अपने पत्ते नहीं खोलते और किसी को एहसास भी नहीं होने देते कि वे करने क्या जा रहे हैं।
एक बार वे मंत्री न बनने की धारी देवी की कसम खाने के बाद भी मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। 216 में हरीश रावत की सरकार गिराने में उनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण थी और अंतिम समय तक किसी को इसका भान भी हरक सिंह ने नहीं होने दिया। ऐसे में अचानक हरीश रावत को माफ करने का ऐलान और उनके चरणों में नतमस्तक होने के पीछे क्या रहस्य है इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।