आपदा का कहर: चार दिन के बाद हुई 61 लोगों की मौत की पुष्टि

करीब दो हजार करोड़ रुपये का नुकसान, अभी भी चार लोग लापता

  1. आपदा की सूचना के बाद नैनीताल और चम्पावत प्रशासन सवालों के घेरे में
  2. कुमाऊं आयुक्त ने हल्द्वानी में दी जानकारी, अभी नुकसान की तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार नहीं
  3. हल्द्वानी भवाली अल्मोड़ा एवं टनकपुर चम्पावत एनएच बंद
हल्द्वानी । चार दिनों की लंबी प्रतीक्षा के बाद अब जाकर प्रशासन ने पिछले दिनों की भारी बारिश में 61 लोगों के मारे जाने की पुष्टि कर दी है। अभी तक मृतकों की संख्या को लेकर सोशल एवं परंपरागत मीडिया में अलग अलग आंकड़े से संशय बढ़ गया था।
प्रशासन की इस स्वीकारोक्ति के बाद अब यह साफ हो गया है कि इस तरह की आपदा की केंद्र एवं राज्य सरकार की चेतावनी के बावजूद नैनीताल एवं चम्मावत प्रशासन समय पर लोगों को सजग नहीं कर सका। कुमाऊं आयुक्त ने दावा किया कि पिछले दिनों की बारिश में सबसे
ज्यादा नुकसान नैनीताल में हुआ।
यहां चौतीस लोगों की मौत हुई, जबकि इसके बाद चम्पावत में ग्यारह लोग हताहत हुए। इस बारिश में कुमाऊं के सभी छह जिलों में भारी
नुकसान हुआ है।
यह दावा मंडलायुक्त सुशील कुमार ने शुक्रवार दोपहर यहां कैंप कार्यालय में एक पत्रकार वार्ता में किया। उन्होंने बताया कि अभी चार व्यक्ति लापता हैं। अन्य के शव बरामद कर लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि आपदा से दो हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान है।
उन्होंने बताया कि बाहरी राज्यों के मृतकों के शव उनके घरों तक भेज दिए हैं। इसके लिए संबंधित राज्य सरकार से भी बात की गई। उन्होंने बताया कि अब तक 36 बीमार एवं घायल व्यक्तियों को उपचार के लिए विभिन्न चिकित्सालयों में भेजा गया है।
उन्होंने बताया कि आपदा के दौरान 17 से 21 अक्टूबर तक मंडल में वायु सेना के सात व एक प्राइवेट हेलीकॉप्टर के माध्यम से सौ लोगों को दूरस्थ क्षेत्र गुंजी, जौली गांव, तेदांग, पिंडारी से रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
इसी तरह जिला प्रशासन, एसडीआरएफ,एनडीआरएफ, सेना के जवानों द्वारा 816 लोगों का रेस्क्यू किया गया तथा विभिन्न सड़क मार्गों में फंसे 8 हजार 315 लोगों, विभिन्न स्थानों पर फंसे 7 हजार 880 पर्यटकों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया।
उन्होंने बताया कि राहत एवं बचाव में एनडीआरएफ की 12, एसडीआरएफ की दस टीमों के साथ ही डेढ़ हजार से ज्यादा पुलिस के जवान लगाए गए। तीन यूनिट सेेना भी आपदा राहत में लगाई गई। इसमें डोगरा, जैक्लाई व एयर ऑपरेशन टीमे शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि मण्डल के आपदाग्रस्त क्षेत्रों में 15 हजार से ज्यादा खाद्य किट वितरित किए गए हैं। ऊधमसिंह नगर में 15 स्थानों पर लंगर चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि रामनगर के अलावा पूरे मंडल में पेयजल व्यवस्था सुचारू हो गई है।
राष्ट्रीय राजमार्ग खैरना-अल्मोड़ा, टनकपुर-चम्पावत मार्ग अभी बन्द हैं। इन्हें खोलने के लिए त्वरित गति से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य मार्ग भवाली-रामगढ़-क्वारब तथा भवाली-रामगढ़-शहर फाटक खोल दिए गए हैं। इससे पहाड़ी जनपदों की यातायात व्यवस्था ठीक हो गई है।
उन्होंने बताया कि मंडल में खाद्यान्न स्टेजिंग एरिया हल्द्वानी मंडी में स्थापित कर दिया गया है। जहां से मंडल के सभी आपदाग्रस्त क्षेत्रों में मांग के अनुसार खाद्य आपूर्ति प्रारंभ कर दी गयी है।
उन्होंने बताया कि शुक्रवार की सुबह हेलीकॉप्टर के माध्यम से दूध, सब्जी, पानी, बिस्किट आदि कौश्याकुटोली के लिए भेजी गई हैं। पूरे मंडल में आपदा से प्राथमिक आकलन सार्वजनिक संपत्तियों को दो हजार करोड$ के नुकसान का अनुमान है।

करीब ढाई दिन की बारिश में इस तरह हुई जनहानि

नैनीताल 34, अल्मोड़ा 6, चम्पावत 11, बागेश्वर 5, पिथौरागढ$ 4 एवं ऊधमसिंह नगर में एक व्यक्ति की आपदा से मृत्यु की प्रशासन ने पुष्टि कर दी है। इसके बावजूद अभी तक चार लोग लापता हैं।

Leave a Reply