हरक के घर पकी खिचड़ी, राजनीतिक हल्कों में कयासबाजी शुरू

प्राकृतिक आपदा के बीच दून में नेताओं के मिलन से सियासी आपदा की आहट

  • तैरने लगे सवाल, हरक व काऊ कांग्रेस में जाएंगे या प्रीतम थामेंगे भाजपा का दामन  
देहरादून। दो दिन पहले एक ही फ्लाइट से दिल्ली दौरा और आज बांध प्रभावितों के बहाने हुई नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और मंत्री डा. हरक सिंह रावत की मुलाकात क्या प्रदेश में सियासी आपदा का संकेत तो नहीं है।
प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में आपदा के कहर के बीच हुई इस मुलाकात ने सियासी पारा तो बढ़ा ही दिया है।
हरक सिंह रावत के डिफेंस कालोनी के निजी आवास में हुई इस मुलाकात का खास पहलू यह भी रहा कि दो दिन पहले हरक के हमराह रहे कांग्रेस के पूर्व बागी विधायक उमेश शर्मा काऊ व वरिष्ठ कांग्रेस नेता ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी भी रावत के घर पहुंचे।
दोपहर बाद हुई मुलाकात की खबर भी सोशल मीडिया में फोटो व वीडियो के साथ रिलीज हो गयी।
मतलब साफ है, इस मुलाकात में कुछ पके न पके, पकता हुआ दिखने की कोशिश जरूर की गयी। जैसे ही सोशल मीडिया में इस मुलाकात की खबरें को हवा मिलीतो हरक सिंह की ओर से बाकायदा मुलाकात का पूरा ब्योरा देते हुए इसे सामान्य करने
की कोशिश की गयी।

हरक सिंह ने कहा, मजबूरी में कांग्रेस को छोड़ा था

आज ही हरक सिंह ने हरीश रावत को अपने खिलाफ फंसाने के षडयंत्र करने का सनसनीखेज बयान देकर एक तरह से यह बताने की कोशिश की थी कि उन्होंने मजबूरी में कांग्रेस को छोड़ा था।
यानि वे कांग्रेस आलाकमान को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने बहुत
मजबूरी में कांग्रेस को छोड़ा।
आज की सनसनी फैलाने वाली मुलाकात के बाद हरक ने इस मुलाकात को नेता प्रतिपक्ष की जन समस्याओं को लेकर मंत्री के साथ होने वाली सामान्य को मुलाकात बताया, लेकिन हरक साथ में यह भी कह गये कि हो सकता है प्रीतम सिंह
ही भाजपा में आ जाएं, क्योंकि वहां हरीश भाई ने उन्हें परेशान कर रखा है।
रावत के डिफेंस कालोनी स्थित आवास पर हुई इस बैठक में क्या निर्णय हुआ यह तो अभी कहना मुश्किल है, लेकिन पिछले दिनों एक ही फ्लाइट में दिल्ली रवाना होने के बाद हरक सिंह रावत को भाजपा में बड़ी जिम्मेदारी मिलने और एक दो दिन के भीतर गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात होने की खबरें आयी थी, लेकिन नड्डा से मुलाकात के बाद हरक  का दिल्ली दौरा भी सामान्य हो गया।
ऐसे में आज की मुलाकात आगे क्या रंग लाएगी, इसको लेकर कयासबाजी तो शुरू हो ही गयी।
हरक सिंह को करीब से जानने वालों का कहना है कि वे जो भी करते हैं बहुत गोपनीय तरीके से करते हैं। 216 में हरीश रावत की सरकार गिराने के एक घंटे पहले तक वे विधानसभा में विपक्षी भाजपा को ऐसे जवाब दे रहे थे कि किसी को भी इसका भान नहीं था कि हरक अगले कुछ घंटों में भाजपा में जाने वाले हैं।
इसलिए राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं अब ये मुलाकातें सिर्फ राजनीतिक माइलेज लेने की कोशिशें हैं, ताकि चला चली की बेला में जहां भी रहें मान सम्मान के साथ मनमाफिक सीट से टिकट भी मिल जाए।
सियासी लोग मिले थे तो स्वाभाविक है मुलाकात में काम के साथ ही सियासी बातें भी हुई। मैं बांध प्रभावितों के मुद्दे को लेकर हरक सिंह के पास गया था। वहां काऊ भी पहुंचे हुए थे। इसलिए इसको सामान्य मुलाकात माना जाना चाहिए।
प्रीतम सिंह, नेता प्रतिपक्ष

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