नहीं होगा देवस्थानम बोर्ड भंग

ध्यानी का स्टैंड बोर्ड की आवश्यकता को करता है साबित 

  • तीर्थ पुरोहितों ने कमेटी का बहिष्कार करने की चेतावनी दी 
देहरादून। देवस्थानम बोर्ड को भंग न होने के हाई पावर कमिटी के अध्यक्ष व वरिष्ठ भाजपा नेता मनोहर कांत ध्यानी के बयान चारधाम महापंचायत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है।
महापंचायत की ओर से कहा गया है कि यदि सरकार बोर्ड को भंग नहीं करती है तो तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारी जल्दी ही अपने अगले कदम का ऐलान करेंगे। महापंचायत ने हाई पावर कमेटी का बहिष्कार करने भी ऐलान किया है।
 उल्लेखनीय है कि पिछली त्रिवेंद्र रावत सरकार के कार्यकाल में सरकार चारधामोंं के बेहतर प्रबंधन व अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए देश के तमाम बड़े
मंदिरों की तर्ज पर देवस्थान बोर्ड का गठन किया।
बोर्ड बनने के बाद से ही तीर्थ पुरोहित व पंडे आंदोलित हैं और उनकी एक सूत्रीय मांग है कि सरकार बोर्ड का भंग करे। तीर्थ पुरोहितों की ओर से आंदोलन भी किया गया और सरकार के साथ वार्ता भी चलती रही। इस बीच सरकार ने तीर्थ पुरोहितों की मांग सुनने के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया।
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में यह हाई पावर कमिटी बनी है। ध्यानी राज्यसभा के सांसद के साथ ही बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। ऐसे में पंडों व पुरोहितों की समस्याओं को समझने के लिए शायद सरकार के पास उनसे बेहतर कोई व्यक्ति नहीं था।
ऐसे में अगर कमेटी के चेयरमैंन मनोहरकांत ध्यानी बार-बार इस बात को दोहरा रहे हैं कि देवस्थानम बोर्ड को भंग नहीं किया जाएगा तो यह साफ संकेत है कि सरकार ने देवस्थानम बोर्ड का गठन करके बड़ा सुधारात्मक कदम उठाया है और बोर्ड को भंग करने का जैसा कदम सरकार के लिए आत्मघाती होगा।
ध्यानी ने स्पष्ट किया है कि समिति बोर्ड भंग करने की तीर्थ पुरोहितों की मांग पर बात करने के बजाय हक -हकूक से संबंधित उनकी आपत्तियों पर बात करके उनका निस्तारण करेगी।
ध्यानी कमेटी के चेयरमैन चुने जाने के तुरंत बाद भी इस तरह का बयान दे चुके हैं, ऐसे में ध्यानी के स्टैंड से कई सवाल उठने लगे हैं कि क्या कांग्रेस का वर्तमान स्टैंड क्या सिर्फ चुनावी सिगूफा है। क्योंकि हरीश रावत जैसे परिपक्व नेता ने पिछले दो साल में देवस्थानम बोर्ड का कभी भी विरोध नहीं किया और अब ऐन चुनाव के समय वे पार्टी के सुर मेंं सुर तो मिला रहे हैं, लेकिन महज औपचारिकता कर रहे हैं।
बहरहाल महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल व प्रवक्ता डा. बृजेश सती ने कहा कि यदि सरकार एवं हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष का यह स्टैंड है तो चार धाम से जुड़ी हुई सभी मंदिर समितियां एवं पंचायतें अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि अभी सरकार का पूरा ध्यान चारधाम यात्रा को सफल बनाने पर लगा हुआ है, ताकि यात्रा से जीविकोपार्जन करने वाले प्रदेश के लाखों परिवारों का संकट दूर हो सके।

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