सांस लेने में तकलीफ होना भी दिल का दौरा पड़ने का लक्षण

इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राज प्रताप सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में दी जानकारी

  • समय पर उपचार नहीं मिलने से हार्ट फेल्योर की भी रहती है संभावना
देहरादून । सांस लेने में तकलीफ व छाती में दर्द महसूस होना भी दिल का दौरा (हार्ट अटैक) पड़ने का लक्षण हो सकता है। चार में से एक मरीज में श्वास लेने में परेशानी, थकावट व पेट दर्द जैसे लक्षण मिले हैं। छाती में दर्द होना पुरुषों व महिलाओं में आम लक्षण हैं। इससे व्यक्ति असहज दबाव, निचोड़ या दर्द महसूस करता है जो कुछ मिनट के लिए रहता है। इसके अलावा पसीना, अम्लता, मतली, उल्टी व पीठ या जबड़े में दर्द होने जैसे अन्य लक्षण भी हार्ट अटैक का कारण हो सकते हैं।
यह बात कैलाश अस्पताल के हार्ट इंस्टीट्यूट के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राज प्रताप सिंह ने शुक्रवार को ईसी रोड स्थित एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने छाती के दर्द वाले लोगों को गंभीर हृदय क्षति से बचाने के लिए समय पर उपचार कराने की सलाह दी। बताया कि प्रतिवर्ष 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य यह कि लोग हृदय से संबंधित बीमारियों के प्रति सजग रहे।
उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि 8336 मरीजों में दिल के दौरे के विश्लेषण के दौरान पाया गया कि 24 प्रतिशत मरीजों में सांस लेने में तकलीफ होना इसका प्रमुख कारण रहा है। कई लोगों में पेट में गैस की समस्या भी हार्ट अटैक में दिखी है। इससे पता चलता है कि मरीज इस बात से अनजान थे कि उनके लक्षणों को तत्काल ध्यान देने व चिकित्सक से परामर्श लेने की जरूरत थी। बताया कि मधुमेह के रोगियों व वृद्धजनों में इस तरह के लक्षण ज्यादा देखे गए। ऐसे में इन लोगों को अधिक सतर्क रहना चाहिए। कहा कि आमतौर पर लोग इस तरह के संकेतों को गंभीरता से नहीं लेते हैं।
डा. सिंह ने बताया कि दिल का दौरा तब पड़ता है जब दिल के एक हिस्से में रक्त प्रवाह अवरुद्ध होने लगता है। ऐसे में संबंधित व्यक्ति को समय पर उपचार नहीं मिला तो वह हार्ट को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता हैं। अध्ययनों से पता चला है कि दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को जीवित रहने की दर लगभग 95 प्रतिशत है। यदि मरीज का उपचार तीन या चार घंटे के भीतर शुरू किया जाता है तो हार्ट की स्थाई मांसपेशी को नुकसान होने से बचाया जा सकता है। उपचार में 12 से 24 घंटे की देरी होने पर हार्ट फेल्योर हो सकता है। कहा कि हार्ट अटैक से बचने के लिए व्यक्ति को नियमित व्यायाम करना चाहिए। तनाव मुक्त होकर स्वस्थ जीवनशैली जीना चाहिए। ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल व ब्लड शुगर का लेवल बनाए रखना चाहिए।

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