नैनीताल। पाकिस्तानी नागरिक को जासूसी के आरोपी में न्यायालय ने सजा को बरकरार रखते हुए आरोपी को तत्काल हिरासत में लेने के निर्देश दिये हैं।
वर्ष 2010 में हरिद्वार गंगनहर पुलिस ने पाकिस्तान के हजरत बाबा हाजी साह सलीम गांव हांजरवाला पोस्ट आफिस डोकार नयाजबेग डाकखाना मंसूरा, लाहौर निवासी आबिद अली उर्फ असद अली उर्फ अजीत उर्फ अबु बकर पुत्र बरकत अली निवासी को जासूसी के आरोप में पकड़ा था। आरोपी पर शासकीय गुप्त बात अधिनियम, 1923 विदेश अधिनियम और पासपोर्ट अधिनियम के उल्लंघन का आरोप था।
आरोपी के पास से सैन्य ठिकानों के संदिग्ध दस्तावेज, एक पेन ड्राइव और अन्य गोपनीय जानकारी भी प्राप्त हुई। 19 दिसंबर 2012 को निचली अदालत ने अभियुक्त को दोषी करार देते हुए सात साल की सजा सुनायी थी। निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अभियुक्त की ओर से अपील दायर की गयी।
हरिद्वार के अपर जिला न्यायाधीश (द्वितीय) ने अभियुक्त को बरी कर दिया। यह मामला तब भी चर्चा में आया था कि अभियुक्त की ओर से वर्ष 2013 में सही तथ्य पेश नहीं किये गये। यहां तक कि अभियुक्त की रिहाई के वक्त आवश्यक औपचारिकतायें पूरी नहीं की गयीं ।
जेल अधीक्षक की ओर से कोर्ट तथा जनपद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को बताया गया कि अभियुक्त विदेशी नागरिक है और इसके लिये उसको रिहाई से पहले उसका व्यक्तिगत बंध पत्र व अन्य औपचारिकतायें पूरी करनी जरूरी हैं लेकिन अपर जिला जज ने जेल अधीक्षक के पत्र को अधिक महत्व नहीं दिया।
इसके अरोपी को रिहा कर दिया गया। मामले को राज्य सरकार की ओर से उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी। न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की अदालत ने इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था। बुधवार को अदालत ने निचली अदालत के आदेश को सही मानते हुए आरोपी की सजा को बरकरार रखा है।