रेल प्रोजेक्ट : रास्ते ध्वस्त, खेत बंजर और थरथर कांप रहे आशियाना
रेल परियोजना से प्रभावित गांवों में विकास पर हावी होता विनाश आरवीएनएल गांवों से पलायन के लिए कर रहा मजबूर
रुद्रप्रयाग। केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी रेल परियोजना के निर्माण में एक तरफ विकास है और दूसरी तरह विनाश का अध्याय लिखा जा रहा है। जमीनी हालात इस कदर हैं कि जिन गांवों में रेल परियोजना का कार्य चल रहा है, वहां ग्रामीणों के सार्वजनिक रास्ते ध्वस्त हो चुके हैं, जबकि नहर ध्वस्त होने से सिंचित खेत बंजर होने के कगार पर है। रही बाकी कसर तो लगातार दिन रात हो रहे भारी भरकम डायनामाइट विस्फोटों से प्रभावितों के आशियाने थर-थर कांप रहे हैं।
रेल परियोजना प्रभावित गांवों के हालात बेहद गंभीर
केन्द्र सरकार और खासकर रेल मंत्रालय की हजारों करोड़ की ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल परियोजना का मुख्य मकसद पहाड़ी क्षेत्रों का सामरिक और आर्थिक .ष्टि से विकास करना है, मगर मौजूदा हालात देखकर सवाल यह खड़ा होता है कि रेल तो पहाड़ मे आ जाएगी और दौड़ेगी भी, लेकिन जिन गांवों से होकर रेल गुजरेगी वहां आबादी रहेगी या नहीं। यह इसलिए चिंता है, क्योंकि वर्तमान समय में जिस तरह से रेल परियोजना प्रभावित गांवों के हालात हैं, वह बेहद गंभीर हैं। साफ तौर से देखा जाय तो इन गांवों में आरबीएनएल की हठधर्मिता के चलते विनाश के सिवाय और कुछ नजर नहीं आ रहा है।
रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय के सबसे समीप और आदर्श गांव के नाम से प्रसिद्ध नरकोटा और खांखरा में भारत रेल विकास निगम की दादागिरी इतनी है कि रात्रि को किसी भी समय चाहे दस बजे, बारह बजे या फिर दो बजे किसी भी समय टनलों के निर्माण में भारी भरकम विस्फोटा किए जा रहे हैं। बस्ती इतनी नजदीक है कि लोग रात को घरों से बाहर दौड़ रहे हैं। कई बार तो बुजुर्ग और बच्चों की तबीयत भी बिगड़ रही है और उन्हें रात के समय अस्पताल ले जाना पड़ रहा है।
ग्रामीणों के आशियाने के हर कोने पर बड़ी-बड़ी मोटी दरारें पडी हुई हैं। गांवों में कई हेक्टेयर सिंचित भूमि बंजर पड़ चुकी है, क्योंकि कंपनियों ने सिंचाई नहर ही ध्वस्त कर दिए हैं। गांव के मुख्य सार्वजनिक रास्ते ध्वस्त हो चुके हैं। ग्रामीण खेतों के बीच से होकर किसी तरह आवाजाही कर रहे है।
अंदाजा लगाया जा सकता है कि विनाश लीला को देखकर क्या भरी आबादी वाले ये गांव और यहां के वाशिंदे गांव में रह सकते हैं। उन्हें मजबूरन पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है और इसके लिए जिम्मेदार केवल भारतीय रेल विकास निगम है।
ग्राम प्रधान नरकोटा चन्द्रमोहन ने कहा कि आरबीएनएल के अधिकारी तानाशाह हो चुके हैं और लोगों का जीना हराम हो रहा है। ना खेती, ना रास्ते और अब स्थिति ऐसी भी हो गई कि लोगों के घर भी ध्वस्त होने के कगार पर हैं। ऐसे में ग्रामीणों के सामने पलायन ही विकल्प बनकर रह गया है। कहा कि समझ से परे है कि क्या केन्द्र सरकार ऐसा विकास चाहती है, जिससे गांवों का विनाश हो। इसके खिलाफ जनाआंदोलन छेड़ा जाएगा और सभी दलों और सामाजिक संगठनों से सहयोग लिया जाएगा।
वहीं रेल परियोजना के मुख्य परियोजना प्रबंधक हिमांशु बडोनी ने कहा कि प्रभावितों के हितों की सुरक्षा के साथ ही उनको रोजगार देना प्राथमिकता है। प्रभावित गांवों के विकास को लेकर आरबीएनएल पूरी जिम्मेदारी से कार्य कर रहा है। अगर किसी भी प्रकार की कोई खामियां रह गई हैं या होती हैं, तो उनको पूरी गंभीरता से दूर किया जाएगा।
इन गांवों में हालात खराब
नरकोटा, सुमेरपुर, खांकरा, डूंगरी पंथ जिसकी आबादी मौजूदा समय में पांच हजार से अधिक है और लगभग साठ से सत्तर फीसदी परिवार प्रभावित हैं। रोजगार के नाम पर यहां अभी मात्र चालीस से पचास फीसदी के बीच ही रोजगार मिला है। जिसको लेकर लगातार प्रभावित मांग उठाते आ रहे है, लेकिन कार्यवाही कुछ नहीं हो रही है।