…और अब चारधाम यात्रा के सुरक्षित संचालन की चुनौती

चार धामों में रंगत लौटने की जगी उम्मीदें

गोपेश्वर। करोड़ों हिंदुओं की आस्था के प्रतीक उत्तराखंड की चारधाम यात्रा खुलने के
बावजूद अब यात्रा के संचालन की चुनौतियां भी खड़े हैं। दरअसल कोरोना महामारी के बीच इस साल भगवान बद्रीविशाल के कपाट 18 मई को खुल गए थे। भगवान केदारनाथ के कपाट 17 मई, गंगोत्री धाम के कपाट 15 मई तथा यमुनोत्री धाम के कपाट 14 मई को खुल गए थे। चार धामों में नित्य पूजा अर्चना आने का दौर चलता रहा किंतु श्रद्धालुओं के दर्शनों पर रोक लगी रही।

 भगवान के दर्शनों को तरसते रह गए लोग

पहले कोरोना महामारी और फिर हाईकोर्ट द्वारा चारधाम यात्रा पर रोक लगने से इस बार लोग भगवान के दर्शनों का पुण्य लाभ ही अर्जित नहीं कर पाई। यही वजह है कि चार धामों के कपाट खुलने के बावजूद लोग भगवान के दर्शनों को तरसते रह गए। हाईकोर्ट द्वारा चारधाम यात्रा पर रोक लगाने के बाद हालांकि सरकार सुप्रीम कोर्ट गई किंतु सुप्रीम कोर्ट में भी एसएलपी लिस्टिंग नहीं हो पाई। अब हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटा दी है। इससे लोगों की भगवान के दर्शनों की अभिलाषा पूरी होगी और चारधाम यात्रा चलने से तीर्थ स्थलों पर रंगत लौट आएगी। वैसे सिखों के प्रमुख तीर्थ हेमकुंड साहिब तथा लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट 1 मई को खुलने थे किंतु कोरोना महामारी के चलते यात्रा स्थगित कर दी गई। अब जबकि उत्तराखंड के हिन्दुओं के चार धाम खुलने जा रहे हैं तो हेमकुंड साहिब की यात्रा भी प्रारंभ हो जाएगी।

चार धामों में करीब 4 माह तक पसरा रहा सन्नाटा

यह भी अजब गजब का संयोग ही रहा कि तीर्थयात्रियों के बिना चार धामों में करीब 4 माह तक सन्नाटा पसरा रहा। हां, इस बीच पंडा पुजारियों और धार्मिक कार्यों से जुड़े लोगों ने तीर्थों में डटे रह कर अपने धार्मिक रीति रिवाजों का निष्ठापूर्वक निर्वहन किया। दरअसल वर्ष 2013 की आपदा के बाद 2015 में चारधाम यात्रा पटरी पर लौट आई थी तो कपाटोद्घाटन के अवसर पर हजारों लोगों की मौजूदगी बनी रही। इसके बाद यात्रा ने रफ्तार पकड़ी।
यह सिलसिला 2019 तक चलता रहा। 2019 में करीब 38 हजार श्रद्धालु कपाटोद्घाटन के अवसर पर मौजूद रहे। बीते साल कोरोना कर्फ्यू के चलते कपाटोद्घाटन की प्रक्रिया सांकेतिक रूप में चली तो गिनती के लोग ही मौजूद रहे। इस बार यात्रा के परवान चढ़ने की उम्मीद जग गई थी किंतु कोरोना की तीसरी लहर के आने से उम्मीदों पर पानी फिर गया।
यही वजह है कि कोरोना कर्फ्यू के दौर में इस बार भी उंगलियों में गिनने वाले पूजा व्यवस्था से जुड़े लोग ही मौजूद रहे। हालांकि बदरीनाथ धाम की यात्रा पर नजर डालें तो वर्ष 2016 में 654355, वर्ष 2017 में 920466, वर्ष 2018 में 1048052 तथा वर्ष 2019 में 1244993 तीर्थयात्रियों ने भगवान के दर्शनों का पुण्य लाभ अर्जित किया। कोरोना काल में पिछले साल 2020 में मात्र 155055 श्रद्धालु ही बदरीनाथ पहुंचे। यही वजह है कि बदरीनाथ धाम के अन्य मंदिरों और अन्य ऐतिहासिक स्थलों पर इस साल भी सन्नाटा पसरा रहा।
अब जबकि हाईकोर्ट ने यात्रा पर लगी रोक हटा दी है तो अभी भी करीब 2 माह का समय यात्रा के लिए रहेगा। इसके चलते तीर्थाटन तथा पर्यटन से जुड़े व्यवसायियों को राहत मिलने की उम्मीद जग गई हैं। दरअसल उत्तराखंड की आर्थिकी चारधाम समेत हेमकुंड साहिब पर काफी हद तक निर्भर है। 2 साल से यात्रा न चलने के कारण लोगों की कमर टूट कर रह गई है।
अब जबकि यात्रा खुलने का फरमान जारी हो गया है तो ऋ षिकेश-बदरीनाथ से लेकर ऋषिकेश से गंगोत्री तथा यमुनोत्री और रू रुद्रप्रयाग से केदारनाथ यात्रा मार्ग के हालात भारी बारिश के चलते जर्जर बने हैं। लोग जान हथेली पर रख कर आवाजाही कर रहे हैं। अब जबकि यात्रा शुरू  होने जा रही है तो सरकार को ऑलवेदर रोड को बेहतर रखने पर फोकस करना पड़ेगा। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका बनी है।
इसलिए तीर्थयात्रियों को एसओंपी का अनुपालन करने के लिए सख्ती बरतनी होगी। इसके लिए सरकारी अमले को मुस्तैद करना होगा। ऐसा नहीं किया गया तो लाभकारी बनने वाली चारधाम यात्रा लोगों की जान पर मुसीबत बन सकती है। इसलिए स्वास्थ्य महकमे को और भी सतर्क करना होगा। इसलिए सरकार के सामने यात्रा के सुरक्षित संचालन की चुनौती बनी रहेगी।

Leave a Reply