गंगा तटों पर नहीं है पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात

तीर्थनगरी क्षेत्र में दिन प्रतिदिन बढ़ रही पर्यटकों के गंगा में डूबने की घटनाएं

  • नहाने के लिए असुरक्षित घाटों पर नहीं लगाए गए हैं सावधानी संबंधी नोटिस
ऋषिकेश। तीर्थनगरी ऋषिकेश योग और धार्मिक स्थली के साथ-साथ रोमांचक गतिविधियों के लिए भी विश्व विख्यात है। जिसके लिए देश-विदेश से सैलानी यहां पर्यटन को आते हैं। ऐसे में गंगा तट पर जानकारी, सावधानी और घाटों पर तैनात पर्याप्त सुरक्षा बल के अभाव में हर साल कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। पिछले 8 महीनों में 18 पर्यटक गंगा में बह गए है। जिसके प्रति पुलिस सहित स्थानीय प्रशासन भी असंवेदनशील  नजर आ रहा है।
तीर्थनगरी के मुनिकीरेती, लक्ष्मण झूला और ऋषिकेश थाना क्षेत्र में एक आंकड़े के मुताबिक पिछले 8 महीनों के भीतर 18 पर्यटकों को गंगा में डूबने के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है। जिसमें 12 लोगों के शव पुलिस और बचाव दल ने गंगा से बरामद किए हैं, लेकिन बाकी 6 का अभी तक कुछ पता ही नहीं चला है। दरअसल, बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटक नासमझी के कारण गंगा किनारे स्नान के लिए उपयुक्त पक्के घाटों, संवेदनशील और अतिसंवेदनशील घाटों में फर्क नहीं समझ पाते हैं। साथ ही पर्यटक अति उत्साह में पानी की गहराई का अनुमान नहीं लगा पाते और गंगा की लहरों में जान से हाथ धो बैठते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि गंगा तट पर अधिकतर संवेदनशील और अति संवेदनशील घाटों पर चेतावनी व सावधानी संबंधी नोटिस भी नहीं लगाएं गए हैं। साथ ही वीकेंड व पर्वों पर मुनिकीरेती व लक्ष्मण झूला क्षेत्र में पर्यटकों के दबाव थाना क्षेत्रों को देखते हुए पर्याप्त सुरक्षा और बचाव दल की भारी कमी देखने को मिलती है।
थाना मुनिकीरेती क्षेत्र में शिवपुरी से कैलाश गेट तक गंगा किनारे सैकड़ों घाट स्थित हैं। जहां वीकेंड पर हजारों की संख्या में पर्यटक गंगा स्नान सहित अन्य कार्यो के लिए आते हैं। घाटों और पर्यटकों की संख्या के हिसाब से तैनात सुरक्षा व बचाव दल अपर्याप्त है, या यूं कहें कि ऊंट के मुंह में जीरा है। साथ ही साथ प्रशासन द्वारा लगभग सभी खतरनाक घाटों पर न तो कोई सावधानी संबधी नोटिस लगाया गया है और कोई अन्य सुरक्षा संबधी इंतजाम किए गए हैं। हां एक्का दुक्का घाटों पर नोटिस लगाए गए हैं, लेकिन यह नोटिस सावधानी के नहीं, बल्कि नहाने के लिए उचित स्थान की जानकारी देने के लिए लगाए गए है। ऐसे में पर्यटक नासमझी और जानकारी के अभाव में घाटों से पैर फिसलने आदि कारणों से गंगा में बह जाते हैं। वहीं थाना लक्ष्मणझूला क्षेत्र की बात करें तों यहां भी घाटों और गंगा किनारों पर पर्यटकों की संख्या को देखते हुए तैनात बचाव दल न के बराबर ही है। बडी बात यह है कि क्षेत्र में एसडीआरएफ की टुकड़ी भी तैनात नहीं है। दुर्घटना होने पर पुलिस को अन्य जिलों से एसडीआरएफ टीम को रेस्क्यू के लिए बुलाना पड़ता है। थाना क्षेत्र में गरुड़ चट्टी से जानकी सेतु तक घाटों पक्के घाटों की संख्या बहुत कम है। लेकिन उन घाटों पर भी सावधानी संबंधी बोर्ड अथवा नोटिस नहीं लगाए गए हैं। हालांकि कच्चे घाटों पर कई जगह पत्थरों पर पेंटिंग कर खतरा अथवा सावधानी बरतने की चेतावनी दी गई है। यही हाल ऋषिकेश कोतवाली क्षेत्र का भी है। चंद्रभागा घाट से बैराज तक प्रशासन द्वारा सावधानी संबंधी एक भी नोटिस नहीं लगाया गया है। हालांकि त्रिवेणी घाट पर जल पुलिस चौकी के साथ ही बचाव दल तैनात रहता है।

तीर्थनगरी की छवि हो रही धूमिल: खरोला

 उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राजपाल खरोला ने कहा कि तीर्थनगरी में पर्यटन के कारण हजारों लोगों का रोजगार चलता है। लेकिन बीते 8 महीने में 18 पर्यटकों को गंगा में बह जाना चिंता का विषय है। जिससे पर्यटकों में ऋषिकेश के नाम से डर पैदा हो सकता है और पर्यटन के कारोबार पर निर्भर व्यवसाय पर आने वाले समय में खतरा मंडरा सकता है। उन्होंने शासन-प्रशासन से जिम्मेदारी लेते हुए संवेदनशील व अतिसंवेदनशील घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाने की मांग की है। साथ ही खरोला ने जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी व पुलिस प्रशासन से निवेदन करते हुए जल्द से जल्द इस संवेदनशील मुद्दे पर तुरंत कार्यवाही करने की भी मांग की है। जिससे ऋषिकेश का नाम अपनी सुंदरता और सौम्यता के लिए विश्व में कायम रह सके।

स्थानीय पुलिस के पास नहीं हैं पुख्ता इंतजाम

मुनिकीरेती थाना क्षेत्र में जल पुलिस चौकी तो नहीं हैं। लेकिन नाव घाट पर 5 जल पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं। नाव घाट पर ही 7-8 आपदा प्रबंधन दल के जवान भी तैनात हैं। जिनमें एक गोताखोर हैं जो गंगा की गहराई में रेस्क्यू करने में कुशल है। इसके अलावा शिवपुरी में एक प्लाटून कमांडर सहित 6 आपदा प्रबंधन दल की टीम मौजूद रहती हैं। साथ ही क्षेत्र के अलग-अलग गंगा घाटों पर भी जवानों की ड्यूटी लगाई जाती है।
लक्ष्मणझूला क्षेत्र में जल पुलिस चौकी नहीं है। लेकिन क्षेत्र में 6 जल पुलिसकर्मी तैनात हैं। जिसने पास एक राफ्ट थी, वह भी खराब हो चुकी है। वहीं थाना क्षेत्र में एसडीआरएफ टीम भी तैनात नहीं है। जरूरत पड़ने पर देहरादून और टिहरी जिले से एसडीआरएफ को बुलाया जाता है।
कमल मोहन भंडारी, प्रभारी निरीक्षण, मुनिकीरेती

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