देहरादून। कहा जाता है कि एमडीडीए में भ्रष्टाचार के गठजोड़ की जड़ें खासी गहरी हैं। अब यह सामने आ भी गया। बीस साल में पहली बार सचिव हरवीर सिंह ने भष्टाचारियों के गठजोड़ पर करारा प्रहार किया। नतीजा यह रहा है कि सचिव इस प्रहार के बाद चार दिन भी अपनी कुर्सी पर नहीं रह सके। बताया जा रहा है कि सचिव का अगला हमला कई प्रभावशाली लोगों के अवैध निर्माण और अफसरों की मिलीभगत पर होने वाला था।राज्य गठन के बाद से ही एमडीडीए (मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण) की कार्यशैली चर्चा में रही है। अफसरों और बिल्डरों के गठजोड़ ने इस शहर को कंक्रीट के जंगल में तब्दील कर दिया। एक तरफ नक्शे के आधार पर जरा भी गड़बड़ी होने पर अफसरों और कर्मियों की टीम आम आदमी को दबोचती रही तो दूसरी ओर बिल्डरों के अवैध निर्माण बदस्तूर होते रहे। एमडीडीए के आला अफसर पता नहीं क्यों मौन साधे रहे।तीन माह पहले हरवीर सिंह को इस प्राधिकरण का सचिव बनाया गया। अपनी कार्य़शैली के मशहूर सिंह की निगाहें बिल्डरों और अफसरों के नापाक गठबंधन पर टिक गई। कई अवैध निर्माण ध्वस्त करने के आदेश दिए गए।