सरकार ने माना तीन कारागारों में क्षमता से अधिक कैदी
अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद नियत, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पांच साल में भी नहीं किया गया है पालन
नैनीताल । नैनीताल उच्च न्यायालय ने राज्य भर की जेलों में सीसीटीवी कैमरे व अन्य सुविधाओं से जुड़े मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद नियत कर दी है। सरकार की ओर से बताया गया है कि राज्य के दून, हरिद्वार एवं हल्द्वानी में 3 हजार 540 के सापेक्ष सापेक्ष 6 हजार 608 कैदी है। महानिदेशक जेल ने पिथौरागढ़, चंपावत व ऊधमसिंह नगर में नई जेल बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजने का भी दावा किया है।
मंगलवार को इस मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तेवाड़ी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की संयुक्त खंडपीठ में हुई। पिछली सुनवाई पर न्यायालय ने जेल महानिदेशक से पूछा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कितना पालन किया गया है न्यायालय ने यह भी पूछा था कि राज्य के जेलों में कितने सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं कैदियों की जेल में रहने की क्या व्यवस्था है जेल में उनको क्या शिक्षा व रोजगार दिया जा रहा है जेल मैनुअल में संशोधन किया गया है या नहीं व जेलों की क्षमता कितनी है
न्यायालय ने इन सभी सवालों के जवाब में स्पष्ट शपथ पत्र पेश करने करने के निर्देश दिए थे। जेल निदेशक ने इन सवालों के जवाब में पहले चरण में देहरादून , हरिद्वार व सब जेल हल्द्वानी में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्णय लेने की जानकारी दी। इसमें यह भी कहा गया कि दूसरे चरण में राज्य के सभी जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्णय लिया गया है। कैदियों के रोजगार के लिए कौशल विकास योजना का सहयोग लिया जा रहा है। कैदियों के जीवन सुधार हेतु आर्ट ऑफ लिविंग के सहारा लिया जा रहा है । जेलों में कैदियों के रहने के लिए आवासों के निर्माण हेतु टेंडर निकाला गया है और तीन नई जेल पिथौरागढ़, चंपावत व ऊधम सिंह नगर में बनाने का प्रस्ताव भेजा है। जवाब में यह भी कहा गया है कि देहरादून में 580 की जगह 1421 कैदी, हरिद्वार में 840 की जगह 1328 और सब जेल हल्द्वानी में 382 के जगह 1756 कैदी है। इन तीनों जेलों 3 हजार 540 की क्षमता है। इसके सापेक्ष 6 हजार 608 कैदी है।
गौरतलब है कि रामचंद्र उर्फ राजू व सन्तोष उपाध्याय ने अलग अलग जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक आदेश जारी कर सभी राज्यों से जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने को कहा है। न्यायालय ने राज्य में खाली पड़े राज्य मानवाधिकार आयोग के पदों को भरने को कहा है।