देहरादून। पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने सीमान्त दर्शन कार्यक्रम के अंतिम दिन दयारा बुग्याल में 12 किलोमीटर ट्रेकिंग सफलतापूर्वक सम्पन्न की। उन्होंने इस ट्रेकिंग की शुरूआत रैथल गांव से की और वापस बारसू गांव पहुंचे। दयारा बुग्याल 1200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। और यह कठिन ट्रेक में एक माना जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि त्रिवेन्द्र सिंह रावत पहले विशिष्ट व्यक्ति है जिन्होंने रैथल से बारसू तक की 12 किलोमीटर ट्रेकिंग सफलतापूर्वक की है।
वापस रैथल गांव पहुंचने पर स्थानीय ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं ने पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र का जोरदार स्वागत किया।यहां पर अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में एक भव्य मंदिर बनाने का काम शुरू कराया था जिसका उन्होंने मूर्त रुप से अवलोकन किया।
क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने दयारा बुग्याल में ट्रेकिंग करने का प्रण लिया था और आज मुझे खुशी है कि यह प्रण कर लिया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। पर्यटन स्थानीय लोगों के रोजगार का एक बहुत बढ़िया जरिया बन सकता है।
इसके बाद पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान का दौरा किया और वहां की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने वहां प्रशिक्षण ले रहे युवाओं से भी बातचीत की और उनकी समस्याओं और भविष्य की योजनाओं के बारे में जाना। देहरादून वापसी में चिन्यालीसौड़ में वे सरस्वती शिशु मंदिर गये यहां उन्होंने वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
गौरतलब है कि पूर्व सीएम अपने सीमान्त दर्शन कार्यक्रम के दौरान सबसे पहले गरलांग गली पहुंचे थे। गरलांग गली तिब्बत को जाने वाला एक मात्र रास्ता है जिसके जरिये भारत-तिब्बल के बीच व्यापार होता था। लेकिन पिछले 60 साल से रास्ता जीर्ण शीर्ण हो चला था। सीएम रहते त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गरलांग गली को के जीर्णोद्धार का संकल्प लिया था जो अब पूरा हो गया है।