20 साल के इतिहास में पहली बार आईएएस को दिलायी सेवा नियमावली की याद

कार्मिक ने दी दबाव बनाने पर प्रतिकूल प्रविष्टि की चेतावनी

  • आदेश जारी होने के बाद आईएएस लाबी में मचा है हडक़ंप

देहरादून। पिछली सरकारों में मौज करने वाले आईएएस अफसरों पर नये सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अंकुश लगाना शुरू कर दिया है। धामी ने साफ कर दिया है कि वे पोस्टिंग के लिए कोई दबाव न बनाएं। धामी के निर्देश पर सभी आईएएस अधिकारियों को लिखित चेतावनी दे दी गयी है, कि वे अच्छी पोस्टिंग पाने के लिए अपने राजनीतिक आकाओं से सिफारिश न कराएं। इस आदेश से शासन में हडक़ंप मचा हुआ है।
कार्मिक एवं सतर्कता विभाग के सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी ने शुक्रवार को एक आदेश जारी किया है। अखिल भारतीय सेवा के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए यह ऐसा आदेश है, जो संभवतया उत्तराखंड राज्य के 20 साल के इतिहास में पहली बार जारी हुआ है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के सभी अधिकारियों को संबोधित इस पत्र में सचिव कार्मिक ने लिखा है कि वे अपनी सेवा से संबंधित किसी भी प्रकरण के लिए उच्चाधिकारियों पर किसी तरह का राजनीतिक अथवा अन्य तरह का दबाव न बनायें। आदेश में अखिल भारतीय सेवा के सर्विस रूल 1968 के नियम—18 की याद दिलायी गयी है, जिसमें किसी भी तरह की सिफारिश कराना निषिद्ध है।
सचिव कार्मिक ने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि किसी भी आईएएस अधिकारी ने इस तरह का दबाव बनाया तो शासन को संबंधित अधिकारी की सेवा पुस्तिका में प्रतिकूल प्रविष्टि अंकित करने को बाध्य होना पड़ेगा। इस आदेश के बाद सरकारों को अपने इशारों पर नचाने वाली आईएएस लॉबी में हड़कंप मचने की खबर है। माना जा रहा है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी के पास दबाव बनाने वाले एेसे कुछ प्रकरण आये हैं और उन्होंने दबाव बनाने वाले इन अफसरों व उनके राजनीतिक आकाओं के आगे न झुकने का मन बना लिया है। वैसे भी यह चर्चा है कि धामी के राज में अधिकारी पहले की तरह उन्मुक्त नहीं हैं और वे बैठकों में भी पूरी तैयारी के साथ आ रहे हैं। इस बात की पुष्टि कुछ अफसरों ने की है। आज के आदेश से यह भी माना जा रहा है कि सीएम धामी जिलाधिकारियों को बदलने की तैयारी कर रहे हैं और कार्मिक विभाग के जरिये उन्होंने यह साफ कर दिया है कि कोई भी अधिकारी मनचाही पोस्टिंग या जिलों के हाकिम बनने के लिए किसी तरह का दबाव न बनाये। ज्ञात हो कि सीएम धामी ने अपने पूर्ववर्तियों से इतर एक गैर आईएएस अफसर (आईपीएस अभिनव कुमार) को अपने कार्यालय में अपर प्रमुख सचिव जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर आईएएस लाबी को एक संदेश भी दिया है। जबकि पिछले 20 साल में आईएएस लॉबी ने किसी भी गैर आईएएस को अपर सचिव से बड़ी जिम्मेदारी नहीं लेने दी। आईएएस लॉबी इतनी मजबूत है कि 2012 में तत्कालीन सीएम विजय बहुगुणा के प्रमुख वन संरक्षक डा. आरबीएस रावत को अपर मुख्य सचिव बनाने की इरादों पर ही पानी फेर दिया था। जबकि कई प्रदेशों में अखिल भारतीय सेवा ही नहीं टेक्नोक्रेट भी वहां के शासकीय काम में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। कार्मिक विभाग के आज के आदेश से एक बात तो साफ हो गयी है कि सीएम धामी ने आईएएस लाबी के बहाने दबाव बनाकर उल्टे सीधे काम कराने वालों के लिए भी एक संदेश देने की कोशिश की है। इसके साथ ही यह चर्चे शुरू हो गये हैं कि आखिर कौन अधिकारी है, जो दबाव बनाकर मलाईदार कुर्सी की जोड़ तोड़ में लगे हैं।

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