पहनना था सेहरा, पर तिरंगे में लिपट कर घर पहुंचा पार्थिव शरीर

देहरादून। सेना का जवान सचिन कंडवाल एक सड़क दुर्घटना में शहीद हो गया है। शहीद जवान मूल रूप से चमोली जिले के नारायणबगड़ विकासखंड के अंतर्गत कंडवाल गांव का रहने वाला था। हालांकि उनका परिवार पिछले पांच साल से देहरादून के अपर सारथी विहार में किराए पर रहता है। जवान बेटे की शहादत की खबर से घर में मातम पसरा हुआ है।सुबह से ही लोग गमगीन परिवार को ढांढस बंधाने उनके घर पहुंच रहे हैं।सचिन ने राजकीय इंटर कालेज नारायणबगड से इंटरमीडिएट किया था। शुरू से ही मेधावी रहे सचिन ने इंटर 75 फीसद से अधिक अंकों के साथ पास किया। विकल्प तमाम थे, पर मन में ख्वाहिश सैन्य वर्दी की थी। वर्ष 2015 में वह फौज में भर्ती हुए।उनके छोटे भाई सौरभ कंडवाल भी द्रास सेक्टर में 21वीं गढवाल राइफल्स में तैनात हैं। अपने भाई की शहादत की खबर मिलने पर वह भी दून के लिए निकल गए हैं। शहीद जवान की बहन रोजी टिहरी में फार्मेसिस्ट है और अभी दून पहुंची हैं।

बताया जा रहा है कि सचिन हाल में छुट्टी आए हुए थे और बीती 16 जुलाई को वह वापस ड्यूटी पर लौटे थे। बताया गया कि उन्हें छुट्टी खत्म होने से दो-तीन दिन पहले ही बुला लिया गया। क्योंकि उनकी बटालियन को गलवान जाना था। वह प्रयागराज से कान्वाय में निकले थे,पर बुधवार देर शाम को मथुरा के पास वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने से वह शहीद हो गए।
सचिन की बीते साल दिसंबर में सगाई हुई थी। परिवार विजयदशमी पर उनकी शादी करने की तैयारी में जुटा था। पर तकदीर ने ऐसा मुंह फेरा कि जिसे सेहरा पहने देखने की ख्वाहिश थी वह अब तिरंगे में लिपटा आएगा।शहीद का पार्थिव शरीर शाम तक दून पहुंच जाएगा। जिसके बाद हरिद्वार में उनकी अंत्येष्टी की जाएगी।
सचिन का परिवार उत्तराखंड की सैन्य परंपरा की जीती जागती मिसाल है।उनके ताऊ भरत प्रसाद कंडवाल व बल्लभ प्रसाद कंडवाल भी फौज से हवलदार पद से रिटायर हैं। भरत के दो बेटे सतीश व संदीप फौज में हैं।जबकि बल्लभ प्रसाद का बेटा तिलक फौज में है। संदीप का छोटा भाई भी फौज में है।

Leave a Reply