डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
रुड़की। उत्तराखंड में साल 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने अंदाज में सक्रियता बढ़ा दी है। अपने ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बदल कर पहले तीरथ सिंह रावत और फिर उनसे भी असंतुष्ट होने पर युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा उन्हीं के चेहरे पर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है। जबकि, कांग्रेस अब तक सामूहिक जिम्मेदारी के साथ चुनाव लड़ने की बात कर रही है जिसे लेकर पार्टी में मतभेद भी है। क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल और राज्य सभा सांसद प्रदीप टम्टा समेत अनेक वरिष्ठ नेता किसी चेहरे पर ही चुनाव लड़ने के पक्ष में है। परंतु प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह बार-बार सामूहिक नेतृत्व में ही चुनाव लड़े जाने का दावा कर रहे है। इसी बीच उत्तराखंड की राजनीति में अब आम आदमी पार्टी भी पूरी ताकत के साथ अपनी एंट्री कर रही है। ऐसे में 2022 विधानसभा चुनाव के बेहद दिलचस्प होने के आसार हैं।
अब तक उत्तराखंड में कांग्रेस और भाजपा ही दो बड़े राजनीतिक दल हैं। वहीं, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी मौजूदा समय में उत्तराखंड में लगता है अपना जनाधार लगभग खो चुके हैं। दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी को भी न तो भाजपा और न ही कांग्रेस अपना प्रतिद्वंद्वी मान रहे हैं। उत्तराखंड की राजनीति में आम आदमी पार्टी की एंट्री को भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने फायदे के रूप में देख रहे हैं। इन पार्टियों में भाजपा सोचती है कि आम आदमी पार्टी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी, जबकि कांग्रेस का मानना है कि आम आदमी पार्टी जो भी वोट काटेगी, वे भाजपा के होंगे। यानी दोनों तरफ से आम आदमी पार्टी वोट कटवा पार्टी तो बन सकती है लेकिन सत्ता में आने लायक उसका अभी कोई वजूद नही है। वर्तमान में सत्ताधारी भाजपा के पास तीन चौथाई सीटें हैं। लेकिन भाजपा के अब तक का साढ़े साल का निराशाजनक कार्यकाल उसके लिए सन 2022 में भारी पड़ सकता है।
आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखण्ड की जनता से चार वादे किए हैं। जिनमें हर परिवार को 300 यूनिट मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना, पुराने बिल माफ करना, कोई पावर कट नहीं होना अर्थात 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराना, साथ ही किसानों को पूरी तरह से मुफ्त बिजली देना शामिल है। अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखण्ड के नेताओं पर राज्य को बर्बाद करने के आरोप लगाये। उन्होंने सत्तारुढ़ भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि दोनों दल सन 2000 से राज्य को बर्बाद करने में लगे हुए हैं। अपने उत्तराखंड दौरे में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उत्तराखण्ड के लोगों ने आम आदमी पार्टी को सत्ता में लाने का फैसला कर लिया है और वह यहां पर अच्छे स्कूल बनाएंगे और बिजली, पानी और कृषि पर काम करेंगे।
सबसे पहले उत्तराखंड के ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने मंत्रालय संभालते ही 100 यूनिट बिजली प्रति माह मुफ्त देने की घोषणा की थी किन्तु कुछ समय मे उनकी यह घोषणा उनके गले की फांस बन गई। इस घोषणा को लेकर भाजपा में आम सहमति न बन पाने से ऊर्जा मंत्री को इस घोषणा पर यू टर्न लेना पड़ा और उन्होंने कहा कि उन्होंने तो केवल 100 यूनिट मुफ्त बिजली का विभाग से प्रस्ताव बनाने के लिए कहा था और प्रस्ताव आने पर केबिनेट इस बारे में अंतिम फैसला लेगी। यानि भाजपा ने तो इस घोषणा से पल्ला झाड़ लिया लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का वायदा कांग्रेस सरकार आने पर कर चुके है। अर्थात अब मुफ्त बिजली देने की घोषणाओं की जंग आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सिमट गई है।
उत्तराखंड में भाजपा युवा नेतृत्व के साथ 60 प्लस का लक्ष्य निर्धारित कर 2022 के विधानसभा चुनाव में जा रही है। भाजपा का चुनावी चेहरा भी युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ही होंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक इस बाबत घोषणा कर चुके हैं कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री के नेतृत्व में ही होगा। पार्टी ने 60 सीटों का लक्ष्य तय किया है। 2017 में पार्टी ने 57 सीटें जीती थी। नई दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस पर सहमति बनी है। इससे पहले भाजपा ने सन 2012 के विधानसभा चुनाव में ‘खंडूड़ी है जरूरी’ का नारा देकर अपने अनुभवी और बुजुर्ग राजनेता को चुनावी चेहरा बनाया था। लेकिन 2022 के चुनाव के लिए पार्टी ने 45 साल के युवा चेहरे को 60 विधानसभा सीटें जीतने का भारी भरकम लक्ष्य सौंपा दिया है। हालांकि, भाजपा में वरिष्ठ राजनेताओं की लंबी सूची है। लेकिन भाजपा अपने दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की विफलता को युवा मुख्यमंत्री धामी के चेहरे से भुलाने की कोशिश कर रही है। अभी देखना यह भी है कि पार्टी के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत, विजय बहुगुणा व धामी सरकार में शामिल सतपाल महाराज, डॉ. हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल के युवा मुख्यमंत्री धामी के कितनी पटरी बिठा पाते है।
मुख्यमंत्री धामी ने कैबिनेट की पहली बैठक में 22 हजार से ज्यादा खाली पदों को भरने का निर्णय जरूर लिया है, लेकिन यह कितना कारगर हो पायेगा, यह भी देखना होगा। क्योंकि पिछले साढ़े चार सालों से नियुक्तियों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया। फिलहाल, बेरोजगारी के कारण युवा खासे व्यथित हैं। मुख्यमंत्री भी उनकी अपेक्षा और नाराजगी से वाकिफ हैं। मुख्यमंत्री खुद कहते हैं कि सरकारी नौकरियां सीमित हैं, लेकिन हम लाखों की संख्या में स्वरोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं। सरकार का इस दिशा में प्रयास करेगी, लेकिन कब करेगी यह नहीं बताया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड में मिशन 2022 का बिगुल फूंकेंगे। उत्तराखंड में मोदी की रैली नवंबर में प्रस्तावित है। इसके स्थान और तारीख अलग से घोषित की जाएगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने बताया कि चुनावी साल से पहले नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उत्तराखंड में रैली प्रस्तावित है। पार्टी ने दिसंबर माह 2021 तक के कार्यक्रम तय कर लिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से लेकर कई केंद्रीय मंत्री पार्टी के निचले पायदान के कार्यकर्ताओं से संवाद कर उनमें जोश भरने का काम करेंगे। भाजपा ने रामनगर में आयोजित तीन दिवसीय चिंतन शिविर के समापन पर मिशन 2022 इलेक्शन का रोडमैप तैयार कर इसका आगाज किया है। इस जुलाई माह में राज्य के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों के 252 संगठनात्मक मंडलों में मंत्री, विधायक और पदाधिकारियों के संपर्क अभियान चलाये जा रहे हैं।
उत्तराखंड कांग्रेस विधानसभा चुनाव की तैयारी से पहले फिलहाल नेता प्रतिपक्ष के चयन में उलझी हुई है। राहुल गांधी ने दिल्ली में उत्तराखंड के शीर्ष कांग्रेस नेताओं से अलग अलग बात की जिसे पीसीसी चीफ के चयन की प्रक्रिया के रूप में भी देखा जा रहा है। पीसीसी चीफ बनने की दौड़ में किशोर उपाध्याय, गणेश गोदियाल, भुवन चन्द्र कापड़ी, आर्यन्द्र शर्मा व प्रकाश जोशी जैसे कई नाम चर्चाओं में है।
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव सिर पर है लेकिन कांग्रेस तैयारियों के बजाय पदों में ही उलझी रहेगी तो उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है। हाई कमान द्वारा बनाये गए प्रभारी भी जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं तक नही पहुंच पा रहे है। प्रदेश के नेता उन्हें अपने ही चश्मे से भावी जीत के दिवास्वप्न अब तक दिखा रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि यदि कांग्रेस अब भी गम्भीर नहीं हुई और संगठन में वर्षों से खाली पड़े पदों को भरने और धरातल से जुड़े कार्यकर्ताओ को महत्व नहीं दिया तो कांग्रेस के लिए चुनावी वैतरणी पार करना मुश्किल हो जाएगा। हालांकि, राष्ट्रव्यापी स्तर पर कांग्रेस ने प्रसिद्ध चुनाव रणनीतिकार एवं जनता दल यूनाइटेड के पूर्व महासचिव प्रशांत भूषण को अपने से जोड़ने का मन बना लिया है।
प्रशांत भूषण की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी,राहुल गांधी व प्रियंका गांधी से मुलाकाते हो चुकी हैं और अब वे कभी भी औपचारिक रूप से कांग्रेस का दामन थामकर कांग्रेस के रणनीतिकार बन सकते हैं। लेकिन इतना सच है कि जब तक कांग्रेस धरातल से जुड़े कार्यकर्ताओं तक नहीं पहुंचेगी, तब तक मिशन 2022 पूरा नही होगा। अब भी भले ही उत्तर में कांग्रेस भाजपा का विकल्प न हो और यह जगह समाजवादी पार्टी ने ले ली हो लेकिन उत्तराखंड में कांग्रेस के पास सत्ता तक पहुंचने का स्वर्णिम अवसर है, बशर्तें उत्तराखंड प्रदेश के शीर्ष नेता आपस में एक हो जाएं और टिकट का बटवारा मुंह देखकर नहीं, बल्कि निष्ठा, जनाधार और जमीनी स्तर पर सक्रिय कार्यकर्ताओ. में से हो।