बारिश जारी, डरे सहमे आपदा प्रभावित गांव के ग्रामीण

प्रशासन ने आपदा प्रभावित गांवों में कुछ अधिकारी कर्मचारियों 

  • जिम्मेदारी सौंपकर कर  स्थित पर नजर रखने के दिये निर्देश
  • बादल फटने से मांडों, कंकराड़ी, निराकोट, सिरोर आदि गांवों में हुआ भारी नुकसान
उत्तरकाशी। जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण आपदा प्रभावित मांडों और कंकराड़ी गांव के ग्रामीण काफी डरे सहमे है। प्रशासन की आेर से हालांकि खतरे की जद में आये कुछ भवनों मेंं रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर राहत कैंप में शिफ्ट कर दिया है,लेकिन बारिश के जारी रहने से गदेरों में पानी के घटते बढ़ते रहने से लोगों की मुश्किलें कम नहीं हुई है। प्रशासन की ओर से आपदा प्रभावित गांवों में बिजली,पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करने के साथ ही कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की गांव में तैनाती कर स्थित स्थिति पर नजर रखने के निर्देश दिये गये है।
जिला मुख्यालय से मात्र पांच तीन किमी की दूरी पर स्थित मांडों गांव में रविवार रात को गांव के पास स्थित गदेरे में के उदगम स्थल पर बादल फटने से एक ही परिवार के तीन लोगों की मलबे में दबने से मौत होने के साथ ही तीन लोग घायल हो गये थे। करीब दर्जन भर परिवारों के आशियाने भी मलबे की भेंट चढ़ गये थे। घटना के रात्रि में होने पर प्रशासन की आेर से हालांकि रात्रि में ही राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया गया था तथा मलबे में दबे दो महिला और एक बच्ची के शवों सोमवार 4 बजे प्रात: बाहर निकाल कर पोस्टमार्टम को भेज दिया गया था। सोमवार सुबह करीब आठ बजे जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा समेत कई अधिकारियों ने मौके पर जाकर हालत का जायजा लिया। मृतक आश्रितों व पीड़ितों से मुलाकात की तथा हर संभव भरोसा दिया। बारिश के जारी रहने से मांडों गांव के ग्रामीण अभी भी डरे सहमे है। आपदा को देखते हुये प्रशासन की ओर से हालांकि अपने अशियाने खोने तथा खतरे के जद में आये भवनों में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर राहत कैंप बनाकर रहने की व्यवस्था की गई है,लेकिन ज्यादातर प्रभावित लोग गांव के अन्य भवनों में अपने नातेदारी,रिश्तेदारी के साथ रह रहे है। बारिश के चलते प्रशासन ने आईआरएस से जुड़े अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिये है। गांव में ग्रामीणों की सुरक्षा के लिये पुलिस और पीआरडी के जवान तैनात किये गये है। मांडों के साथ ही आपदा प्रभावित कंकराड़ी गांव में खतरे की जद में आये भवनों को डीएम मयूर दीक्षित ने खाली कराने के निर्देश दिये है। इस गांव में तीन परिवारों का भवन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुआ है,जबकि आधा दर्जन से अधिक परिवारों के भवन खतरे की जद में है। सैकड़ों कृषि भूमि नष्ट-नष्ट हुई है। गांव में सुमन पुत्र गोकुल सिंह गुसाईं उम्र 25 वर्ष गदेरे के तेज बहाव में बहने से लापता है। एनडीआरएफ और बचाव दल की ओर से काफी खोजबीन करने पर भी अभी तक उसका शव बरामद नहीं हुआ है। युवक को ढूंढने के लिये गदेरे में सर्च अभियान निरंतर जारी है। बादल फटने से निरकोट गांव में भी भारी क्षति हुई है,लेकिन घटना के बाद तक भी गांव में ग्रामीणों की सुध लेने के लिये एक पटवारी तक नहीं पहुंचा है। ग्राम प्रधान जितेंद्र सिंह गुंसाई के सोशल मीडिया पर नाराजगी जताने के बाद तहसीलदार व पटवारी ने मंगलवार को गांव में आने की बात कही है। प्रधान जितेंद्र ङ्क्षसह गुसाईं का कहना है कि आपदा के बाद से कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा है. यहां तक कि पटवारी या ब्लॉक के कर्मचारी ने भी ग्रामीणों की सुध लेने नीही आये है। उन्होंने बताया कि गदेरे के उफान पर आने के बाद बड़े-बड़े पेड़ और बोल्डर बहकर गांव के मार्ग पर आ गए हैं। इसके मद्देनजर एक शौचालय टूटने की कगार पर है। कुछ मकानों व एक सरकारी स्कूल के भवन में दरार आ गई है। सभी संपर्क मार्ग सहित पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हो गई है। जिसकी सूचना समय पर जिला प्रशासन को दी गई लेकिन 24 घंटे बीत जाने के बाद कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा है। जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने मांडो में मृतकों के परिवारों को अपनी तरफ से 50 हजार और कंकराड़ी में लापता युवक के परिजनों को 20 हजार की धनराशि मदद के तौर पर दी।  जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने कहा कि आपदा प्रभावितों की हर संभव मदद की जाएगी। उन्होंने प्रशासन से राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिये है।

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