क्या बसपा के बाद अब उत्तराखंड में सपा भी अकेले दम लड़ेगी चुनाव

अखिलेश यादव ने कही सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात

  • पर सपा के प्रदेश अध्यक्ष एसएन सचान के मुताबिक दूसरे दलों के साथ भी चर्चा चल रही है
देहरादून। 2022 के विधानसभा चुनावों को लेकर जहां भाजपा  और कांग्रेस चुनावी तैयारी में जुटे हैं वहीं प्रदेश के छोटे दल भी  अभी से अपनी कमर कसने लगे हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती के  बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सभी   सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है। हालांकि समाजवादी पार्टी
के प्रदेश अध्यक्ष एसएन सचान का कहना है कि दूसरे दलों के साथ में भी चर्चा चल रही है। समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन किया जा सकता है। बता दें कि सपा प्रदेश में वाम दलों  के साथ मिलकर भी चुनाव लड़ चुकी है।

राज्य गठन के पहले प्रदेश में समाजवादी पार्टी के आठ से नौ विधायक हुआ करते थे

बता दें कि राज्य गठन के पहले प्रदेश में समाजवादी पार्टी के आठ से नौ विधायक हुआ करते थे। 9 नवंबर 2000 तक प्रदेश में समाजवादी पार्टी के तीन विधायक थे, जो अंतरिम सरकार में शामिल थे। लेकिन चुनाव दर चुनाव प्रदेश में समाजवादी पार्टी का ग्राफ गिरता गया। 2002 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 7 सीटों पर मजबूती के साथ चुनाव लड़ना था और दूसरे नंबर पर थी। इसी तरह से 2007 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को करीब 3 फीसदी वोट मिले थे 2012 के चुनाव में पार्टी का ग्राफ और डाउन हुआ एक फीसद से भी कम वोट मिले समाजवादी पार्टी 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रदेश की 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी भी नहीं उतारे।

बसपा का ऐलान, किसी के साथ गठबन्धन नहीं

बता दें कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने रविवार को ही ऐलान किया है कि बसपा उत्तराखंड में 2022 में विधानसभा चुनाव किसी केसाथ गठबन्धन करके नहीं लड़ेगी। यह बात अलग है कि शुरुआती विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने वाली बसपा का प्रदर्शन लगातार गिर रहा है। वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में बसपा ने 10.93 मत प्रतिशत लेकर सात सीटें जीती थीं। 2007 में हुए दूसरे विधानसभा चुनाव में बसपा ने और बेहतर प्रदर्शन किया और उसने 11.76 फीसद मत प्रतिशत के साथ आठ सीटें कब्जाई। वर्ष 2012 में बसपा का मत प्रतिशत तो बढ़ कर 12.19 प्रतिशत तक पहुंचा, लेकिन सीटों की संख्या घट कर तीन पहुंच गई। वहीं 2017 के विधानसभा चुनावों में बसपा को केवल 6.9८ प्रतिशत मत मिले पर वह कोई सीट नहीं जीत सकी।

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