कुमाऊंनी के युवा रचनाकारों के काव्य संकलन ‘ जो य गड़ बनि रै’ का विमोचन

अल्मोड़ा । कई सालों से कुमाऊंनी भाषा के संरक्षण व विकास के लिए अलख जगाने का काम कर रही कुमाऊं नी मासिक पत्रिका ‘ पहरू’ के प्रयास रंग लाने लगे हैं।  पहरू की प्रेरणा से प्रेरित युवा कुमाऊंनी रचनाकारों द्वारा रचित काव्य संकलन ‘ जो य गड़ बगि रै’ का शुक्रवार को विमोचन हुआ। खास बात ये है कि यह संकलन 15-25 आयु वर्ग के युवा रचनाकारों की ‘ रचना उपज’ है।
युवा कुमाऊं नी रचनाकार ललित तुलेरा के संपादन से प्रकाशित इस संकलन का विमोचन कार्यक्रम यहां मासिक पत्रिका ‘ पहरू’ की ओर से अपने कार्यालय में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम युवाओं के नये काव्य संकलन ‘जो य गड़ बनि रै’ का परिचय प्रदान करते हुए कुमाऊं नी पत्रिका ‘ पहरू’ के संपादक और कुमाऊंनी साहित्यकार डा. हयात सिंह रावत ने कहा कि युवा कवियों का संयुक्त प्रयास अपनी कुमाऊंनी के लिए बेहतरीन प्रयास है।
मुख्य अतिथि एड. रमन सिंह बिष्ट ने युवाओं के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि आज कुमाऊनी युवाओं को कुमाऊंनी भाषा में रचनाएं रचित करने व लिखने के लिए प्रोत्साहित करने की नितांत जरूरी है और युवा रचनाकारों को कुमाऊं नी में रचनाशील होने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुमाऊंनी साहित्यकार महेन्द्र ठकुराठी ने कहा कि यह काव्य संकलन युवाओं के लिए एक नींव का पत्थर साबित होगा। उन्होंने वरिष्ठ साहित्यकारों का आह्वान किया कि युवा रचनाकारों को प्रोत्साहित करने लिए आगे आएं। इस रचना के संकलन में 17 युवा रचनाकारों की कविताएं शामिल हैं। जिनमें आठ महिला रचनाकार हैं।

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