नयी दिल्ली: देश की अधिक से अधिक आबादी का जल्द से जल्द टीकाकरण करने के उद्देश्य से केंद्र की मदद से देश में घरेलू टीकों का उत्पादन लगातार तेज किया जा रहा है। इस पहल के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग आत्मनिर्भर भारत 3.0 मिशन कोविड सुरक्षा के तहत तीन सार्वजनिक उद्यमों की मदद कर रहा है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार इन उद्यमों में हैफकाइन बायोफर्मास्यूटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, मुंबई,इंडियन इम्यूनोलॉजिकल लिमिटेड, हैदराबाद और भारत इम्यूनोलॉजिकल एंड बायोलॉजिकल लिमिटेड, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश शामिल है। हैफकाइन बायोफार्मा, 122 साल पुराने हैफकाइन इंस्टीट्यूट की एक शाखा के रूप में महाराष्ट्र राज्य का सार्वजनिक संस्थान है जो भारत बायोटेक लिमिटेड, हैदराबाद के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व्यवस्था के तहत कोवैक्सिन टीका बनाने के लिए तैयारी कर रहा है। टीके का उत्पादन कंपनी के परेल स्थित कॉम्प्लेक्स में होगा।
हैफकाइन बायोफार्मा के प्रबंध निदेशक डॉ. संदीप राठौड़ ने कहा कि कंपनी का एक वर्ष में कोवैक्सिन की 22.8 करोड़ खुराक का उत्पादन करने का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया ‘‘कोवैक्सिन के उत्पादन के लिए हैफकाइन बायोफार्मा को केंद्र द्वारा 65 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र सरकार द्वारा 94 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है।
हमें आठ महीने का समय दिया गया है इसलिए काम को युद्ध स्तर पर अंजाम दिया जा रहा है। डा. राठौड़ ने बताया कि वैक्सीन उत्पादन प्रक्रिया में दो चरण शामिल हैं – दवा का पदार्थ बनाना और अंतिम दवा उत्पाद। दवा का पदार्थ बनाने के लिए हमें बायो सेफ्टी लेवल 3 (बीएसएल 3) सुविधा बनाने की जरूरत है, जबकि हैफकाइन में पहले से ही फिल फिनिश की सुविधा उपलब्ध है।
बीएसएल 3 एक सुरक्षा मानक है जो ऐसी सुविधाओं पर लागू होता है जहां काम में रोगाणु शामिल होते हैं जो श्वसन मार्ग से शरीर में प्रवेश करके गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं। बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सचिव तथा ‘ बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस कौंसिल की अध्यक्ष डॉ. रेणू स्वरूप के मुताबिक ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्ति का उपयोग करके वैक्सीन उत्पादन की क्षमता बढ़ाने से हमारे देश में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान के लिए टीकों की उत्पादन क्षमता वृद्धि का एक लंबा रास्ता तय होगा।