देहरादून । उत्तराखंड में अब तक विभिन्न प्रांतों से करीब दो लाख से ज्यादा लोग आ चुकेहैं लेकिन सरकार के खाते में मात्र 85478 लोगों के ही नाम दर्ज हैं। ऐसी स्थिति में पंचायत प्रतिनिधियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रवासियों के बारे में सटीक जानकारीप्राप्त करना है। जब तक प्रवासियों के गांव और तहसील से जुड़ी जानकारी मिल नहीं पाएगी तब तक इस बात का पता लगाना भी कठिन है कि कौन प्रवासी किस प्रांत से आया है और प्रवासी कोरोना संक्रमित है या नहीं।
जब तक प्रवासियों के बारे में समुचित जानकारी नहीं मिल जाती है तब तक गांवों में तेजी के साथ फैल रहे कोरोना महामारी के बारे में सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं हो पाएगा।वर्तमान माहौल में कोरोना संक्रमितों की सही पहचान करके उनका इलाज करानासरकार की बड़ी जिम्मेदारी है। इस क्रम में सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत प्रतिनिधियों की ड्यूटी लगाई है। साथ ही नोडल अधिकारियों की तैनाती हुई है। इसके अलावा धनराशि ग्राम प्रधानों को आवंटित की गयी है। पूरे प्रदेश में पंचायतों को सेनेटाइजेसन और साफ सफाई की जिम्मेदारी भी सौंपी गयी है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर गांवों में कोरोना संक्रमित लोगों की पहचान की रणनीति भी बनाई गई है।
लेकिन सरकार का यह प्रयास तभी सफल हो पाएगा जब विभिन्न प्रांतों से आए प्रवासियों की सटीक जानकारी मिले। पंचायत विभाग द्वारा जारी सूची के मुताबिक 21 अप्रैल से 17 मई तक कुल 85478 प्रवासी आए हैं जिनमें अल्मोड़ा- 2854,बागेश्वर-2671,चमोली- 2346,चंपावत-2680,देहरादून-5322,हरिद्वार-3193,नैनीताल-6366,पौड़ी गढ़वाल-19634,पिथौरागढ़-3164,रुद्रप्रयाग-1664,टिहरी गढ़वाल-5851,ऊधम सिंह नगर-3896 और उत्तरकाशी-637 लोग शामिल हैं। यह आंकड़ा स्मार्ट सिटी पोर्टल में पंजीकृत है।
जबकि पंचायत विभाग का मानना है कि अब तक विभिन्न प्रांतों से उत्तराखंड के करीब 2 लाख से ज्यादा लोग ग्रामीण क्षेत्रों में आ चुके हैं। जबकि सरकार ने सख्त आदेश जारी कर दिया है कि उत्तराखंड आने से पहले स्मार्ट सिटी पोर्टल में पंजीकृत कराना अनिवार्य है। पंचायतीराज विभाग मानता है कि बार्डर पर सख्ती नहीं होने की वजह से लाखों लोग बिना स्मार्ट सिटी पोर्टल में अपना नाम दर्ज कराए उत्तराखंड में प्रवेश कर गए हैं।
बार्डर पर और ज्यादा सख्ती की आवश्यकता : सेमवाल
पंचायतीराज विभाग के सचिव हरिचंद्र सेमवाल का कहना है कि बार्डर पर और ज्यादा सख्ती करने की आवश्यकता है। स्मार्ट सिटी पोर्टल में जिनका नाम दर्ज हो उन्हें उत्तराखंड में प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए। इस संबंध में अन्य विभागों के साथ भी जरूरी बैठक भी की जाएगी ताकि सामांजस्य बना रहे। सेमवाल ने माना कि लाखों लोग अब तक उत्तराखंड आ चुके हैं। सटीक जानकारी जब तक नहीं मिलेगी तब तक कोरोना संक्रमित लोगों की पहचान करना मुश्किल है। पंचायत प्रनिनिधि दिन रात मेहनत कर रहे हैं। सबकी मदद से ही कोरोना संक्रमण को रोकने में कामयाबी मिल पाएगी।