नई दिल्ली : कोरोना मामलेपर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सीधे सवाल पूछे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि वैक्सीन की कीमत में अंतर क्यों है? निरक्षर लोग जो कोविन ऐप इस्तेमाल नहीं कर सकते, वह वैक्सिनेशन के लिए कैसे पंजीकरण करवा सकते हैं?
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि केंद्र सरकार यह बताए कि बिना पढ़े-लिखे लोगों के वैक्सीनेशन के लिए क्या व्यवस्था है ? क्योंकि वैक्सीनेशन के लिए ऐप पर रजिस्ट्रेशन आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मीडिया में कई खबरें आईं कि ज़रूरी दवाओं की कमी है, दिल्ली हाईकोर्ट में यह बात सामने आई थी कि ज़रूरी दवाओं की कमी है, रेमडेसीवीर इंजेक्शन की कमी है, महाराष्ट्र सरकार ने बांग्लादेश ने पिछले साल बांग्लादेश से ज़रूरी दावा मंगाई थी, झारखण्ड सरकार ने भी बांग्लादेश से 50000 रेमडीसीवीर इंजेक्शन खरीदा था। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि जरूरी दवाओं का उत्पादन और वितरण सुनिश्चित क्यों नहीं हो पा रहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई मीडिया रिपोर्ट में यह कहा गया कि कोरोना का नया म्यूटेंट टेस्ट में सामने नही आ रहा है, ऐसे में सरकार ऐसे मरीज़ों की पहचान के लिए क्या कर रही है।
सोशल मीडिया में गुहार लगाने वालो पर कार्रवाई ना हो
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बीते दिनों नागपुर में एक मामला सामने आया था जिसमें कोरोना मरीज़ 108 एम्बुलेंस में नही आया तो उसको अस्पताल में भर्ती नहीं मिली, देश में एम्बुलेंस की कमी सामने है ऐसे में सरकार ऐसे मरीज़ों की भर्ती के लिए क्या कदम उठा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों और सभी राज्यों के पुलिस और पुलिस महानिदेशकों को आदेश दिया है कि अगर कोई व्यक्ति ऑक्सीजन की कमी या अस्पताल या किसी तरह की कोई कमी को लेकर सोशल मीडिया में गुहार लगाता है तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई हरगिज़ न की जाय वरना कोर्ट उसके खिलाफ अदातल की अवमानना की कार्रवाई करेगा। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संदर्भ में एक्शन लेने की चेतावनी दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि आप 18-45 साल के दरम्यान उम्र वालों को वैक्सीन लगाने की योजना बताएं। क्या केंद्र के पास कोई कोष भी है जिससे वैक्सीन की कीमत एक समान रखी जा सके। इसी के साथ ये भी पूछा गया है कि भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट को कितना फंड दिया गया है।