देहरादूनः महाकुम्भ में सन्यास और ज्ञान प्राप्त करने की दीक्षा चल रही है। सैकड़ों सन्यासी सन्तो ने न सिर्फ गुरू ज्ञान, बल्कि अनेक ने नागा सन्यासी की भी दीक्षा ली है। मेले में एक सामूहिक दीक्षा समारोह भी चल रहा है। हजारों लोगों ने अपने बाल मुंडवा लिए हैं। मात्र सिर के पीछे एक शिखा छोड़ रखी है और स्वयं अपना पिंड-दान’ यानि ऐसा अनुष्ठान, जो केवल मृत्यु के बाद मृतक की आत्मा की शांति के लिए होता है, को कर रहे हैं। अब इस समारोह के बाद यह सभी नागा साधुओं के प्राचीन और गौरवशाली समूह में शामिल हो जायेंगे। यह ऐसे साधु बन जायेंगे, जो सनातन धर्म की रक्षा के लिए आधुनिक कमांडो जैसे कठोर और आक्रामक होंगे। विभिन्न स्तर से मिली जानकारी के अनुसार, संतों के 13 अखाड़ों में सात अखाड़े ही नागा साधु बनाते हैं। जिनमें जूना, महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आनंद और आवाहन अखाड़ा नागा साधु बनाने की प्रक्रिया करवाते हैं। जूना अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर अवधेशगिरी महाराज का कहना है कि यह आम प्रक्रिया नहीं है।
यह बहुत ही कठिन तप और संयमित प्रक्रिया है। जिसके लिए 12 साल की एक लंबी अवधि गुजारनी पड़ती है। देश के प्रति नगा साधुओं का योगदान राजा-महाराज भी संकट के समय अखाड़ों के नागा साधुओं का सहयोग लिया करते थे। इतिहास में ऐसे कई युद्धों का वर्णन मिलता है, जिनमें 40 हजार से ज्यादा नागा योद्धाओं ने भाग लिया। अहमद शाह अब्दाली के मथुरा-वृन्दावन के बाद गोकुल पर आक्रमण करने पर नागा साधुओं ने मुकाबला करके गोकुल की रक्षा की थी। भारत की आजादी के बाद इन अखाड़ों ने अपना सैन्य चरित्र त्याग दिया, लेकिन अखाड़ों के प्रमुखों ने भारतीय संस्कृति और दर्शन के सनातनी मूल्यों का अध्ययन और अनुपालन करते हुए संयमित जीवन व्यतीत करने का आदेश दिया।
1500 स्वयं सेवक कुम्भ की व्यवस्था बनाने में निस्वार्थ भाव से कर रहे सेवा
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभिन्न जिलों से आये डेढ़ हजार कार्यकर्ताओं ने कुम्भ क्षेत्र के करीब डेढ सौ व्यस्त चौराहों में पुलिस के साथ यातायात प्रबंधन का मोर्चा संभाल लिया है। हर चौराहे में इनके छह स्वयं सेवक पुलिस के चार जवानों के साथ तैनात रहते हैं। संघ के सूत्रों ने बताया कि स्वयं सेवक सुबह कैंप से नास्ता करने के बाद दिन की रोटियां साथ बांधकर ले जाते हैं और फिर पूरी मुस्तैदी से पुलिस के सहयोग में जुट जाते हैं। यह कार्यकर्ता श्रद्धालुओं को पानी पिलाने से लेकर रहने-खाने, अन्य व्यवस्थाओं में भी कुम्भ मेला प्रशासन के साथ हाथ बंटा रहे हैं। इन्हे बाकायदा कुम्भ मेला पुलिस प्रशासन ने पहचान पत्र भी जारी किये हुए हैं। हरिद्वार में संघ के प्रमुख प्रचारक सुनील का कहना है कि उन्होंने कुम्भ क्षेत्र में 55 केन्द्र बनाये हैं जहां उनके 1500 स्वयं सेवक कुम्भ की व्यवस्था बनाने में निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे है। उन्होंने बताया कि इस कार्य हेतु कुम्भ मेला पुलिस प्रशासन ने उन्हे एसपीओ नाम देकर कुम्भ में व्यवस्थाओं को लेकर कार्य करने को कहा है।