देहरादूनः कोरोना से मुक्त होने के बाद देहरादून पहुंचे वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व सीएम हरीश रावत ने सल्ट से कांग्रेस उ मीदवार गंगा पंचोली की जीत के लिए देवी-देवताओं को झकझोरा है। एक भावुक अपील में उन्होंने क्षेत्र की जनता से अपने भावुक रिस्ते की दुहाई भी दी है।हरदा ने देहरादून के अपने आवास से मार्मिक अपील जारी की है। सल्ट क्षेत्र की जनता से अपने भावनात्मक रिस्ते की दुहाई देते हुए विडियो भेज रिकार्डिंग कर वोट माँगे उनकी अपील को सल्ट में वोटरों के बीच बाटी जा रही।
सल्ट विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं से विनम्र अपील
गंगा, मैं तेरे लिये सब लोगों से फिर से प्रार्थना करने के लिये आया हॅू, गंगा को विजय बना दीजिये। गंगा, उत्तराखण्ड के इस क्षेत्र की राजनीति के लिये भविष्य की गंगा साबित होगी, विकास को नया आयाम देगी, सेवाभाव को आगे बढ़ायेगी, मुझे पूरा भरोसा है।
गंगा तुमहारे कौशल पर, मुझे पूरा भरोसा है तुमहारी सूझबूझ पर। करला नै, द्यला गंगा को वोट। मेरी प्रार्थना छ आपू सब लोगों हैं। लगभग 45 सालक तपस्याक बाद भगवान शिवजील मैंकें अवसर दे, उत्तराखण्डक मु यमंत्री बननक। सब जाग बिखराव छीं, टूट-फूट, बर्बादी छीं, लेकिन यर मन में शिव भाव एक संकल्प उभर रछीं। कुछ दिन, जसिक काम शुरू करछीं, एक दिन हवाई दुर्घटना में द्वी जाग गर्दन टूट गैछीं।
जब ए स में भर्ती हुनक बाद बीजापुर गेस्ट हाउस आयूं, रोज रैति छ: बैजी पूरन पूछछीं सैप उठ जाओं, अब आंख वैल दियो। सैप मन में सोचछीं कि भगवन जब आखिरी बार यर आंख खुली या इसकें विकलांग मु यमंत्रीक तौर पर यां बटी निकल जौंल यर घरवाली जब आंखों र्के डब-डबाई पाणीक साथ यर तरफ देखीछीं, तो वैक मन में एक भाव रैंछीं र्के यश तो न हो कि यर पति विकलांग है बेर इसीकें मर जैंल और मैं भगवान हों प्रार्थना करछीं हे भगवन कतुकें लैं मेरी गलती रही, भूल-चूक रई, मैंकें क्षमा कर दें भगवन। मगर या तें वो घर में मैंकें ठाण कर बेर भेज दियो या यर प्राण निकाल द्यो, ताकि राजकीय यात्राक साथ यर अंतिम विदाई है जैवें या यर साथ येरी 45 सालक तपस्यालें दफन है जैवें।
सुन लिया ईष्ट देवता, कुल देवता, ग्वैल देवता, सबूल सुणी मैं फिर ठाड़ा है ग्यों और जब ठाड़ हैयों कुछ न कुछ करों मैल, कां नीं कर, कै धार लीजि नीं कर, २०२० में मु यमंत्री बनन छीं, स्वप ध्वस्त है गौ, कोई और मु यमंत्री बन गई। लेकिन मैल उमें लैं सब धारों लीजि विकासक जागर की, धात और थाप सुणैं लोगों र्के और विर्के परिणाम छीं धार-धार में धार-2 में विकास हों और नई-2 डेवलपमेंट हों और मु यमंत्री बनूं, जतुक लें अवसर छीें मैल वीक मौक करबेर हालात लें सुधारी और जगह-2 कोई गाड़ा, कोई गधर, कोई धार, कोई मैदान, पहाड़ र्के लें, कोई क्षेत्र लैं, मैंल विकासक बिना न छोड़ी, जैल जे क स भव-अस भव, सब स भव ह, ये सब देवता तेरी ताकत छीं, येरी ताकत नीं छीं।
आज कहें कुनूं, मैं पुकार-पुकार बेर जो हैं, कोई छा यश बताओं न कोई जब यर ड़ी हैं, विकास पुरूष कनीं विक कामों क बता बेर, मैंकें छप-छप लागि यर मन में, लेकिन कोई अघील आ बेर कौणक लीजि तैयार न छीें कि यौं छ, जैल यौ करो सबकुछ। जैक साहरल यौ स भव करौ। रस्त आदुक लै पार न कर पाछीं केन्द्र सरकारल पूर ताकत क साथ दल-बदल करवै बेर यर सरकार र्के तोड$ बेर, सब कुछ ध्वस्त कर दी। मैं लड़यूं , गंगलोड़क तरह लड़यूं और फिर ठाड़ हयों, एक नई इतिहास आपुक सब लोगोंक पाल, उत्तराखण्डियों पाल, लोकतंत्र में बनाछ, लोकतंत्रक इतिहास लै बनाछ, लेकिन एक और लै इतिहास ड़-ड़ रचि, मैं द्वीं सीटों पर एक साथ चुनाव हार ग्यूं।
र्के बात न छ, चुनाव में हार-जीत हैं। यर लै हार-जीत है गे, मैंकें कोई रंज न छीं यौ बातक, मगर 7 विधानसभा सीटों में 1१-1१ कतुक अंहकार छ, कतुक द भ छ इन शब्दों में, कतुक वेदना छ। यर मन र्के अन्दर तक छेद द्यों यो, एक कल्पना छ मन में आज सबौक दरवाज पर ठाड़ छौं कि स भव छ एक सीट दीबेर यर माथ पर लगी हुई ( यर सर पर) कोई यौ लेख र्के मिटा द्यौं, ग्यारक – बारह कर द्यौं न, इकें लोकतंत्र में कि जा तुमर, बारह कर द्यौं, बहुत प्रलोभन मिलौल, बहुत चीज मिलौल, यह अवसर यर एक विकास कार्यकर्ताक पुकार छ, मैंल हे देवता एक विकास कार्यकर्ता, हे देव भूमिया, हे ग्राम देवता, हे ग्वैल देवता, यदि तेरी धरतीक चूर-चूर में हर जगह मैंल कुछ न कुछ करौं, त्यर लोगोंक लीजि, सबौंक लीजि करौं, गरीब-अमीर, ट-ठुल, मैदान, पहाड़, कसलें छीं, शिल्पकार छीं, बेरोजगार छीं, नौजवान छीं, मॉं-बैंणी छीं, विकंलाग छीं, कसलें छीं, जा यर दरवाज पर आ, हे भगवन यदि मैंल आपुण दरवाज पर आयी र्के लीजि मना कीं या कुछ न कर पायौं तो मैंकें माफ कर दिया। लेकिन यदि मैंने कुछ किया है तो आज यह हरीश रावत जिस समय कोरोना से संघर्ष करके किसी तरीके से शायद अब जिन्दा बाहर खड़ हॅूं, ये सब बता रहे हैं, कहां-कहां, कितना-2 क्या हालत है यहां की, कितना कंधों की है, क्या हालत इस पेट की है, कहां-कहां नहीं छिद गया हॅूं, मगर मेरी दशा उस छिदे हुये अर्जुन की तरह है जो केवल एक लक्ष्य जानता था, विजय का लक्ष्य चाहता हूूॅ। कोरोना से लड$ लिया हॅूू, फिर खड़ा हो जाऊंगा, फिर लडूंगा, अधूरी लड़ई भी जहां-जहां रह गई है, उसको पूरा करूंगा। कुछ बातें कहीं हैं, उन बातों को भी पूरा करूंगा, लेकिन मेरे लिये आज एक वोट, हे देवताओं की धरती, देवीयों की धरती, हे शिव महादेव की धरती, हे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की धरती, ”मेरी पुकार सुन-मेरी पुकार सुन, कहीं से कुछ हो सके तो मुझे क्षमा कर दे, लेकिन चुनाव जीता दे, इस चुनाव में कांग्रेस को विजयी बना दें।