जंगलों में धधकती आग पर हाईकोर्ट सख्त, मुख्य वन संरक्षक तलब
मुख्य वन संरक्षक आज होंगे पेश, देना होगा कई सवालों का जवाब
नैनीताल । उत्तराखंड के धधकते जंगलों को बचाने के लिए नैनीताल उच्च न्यायालय ने भी स्वत संज्ञान ले लिया है। न्यायालय
ने प्रमुख वन संरक्षक को बुधवार को तलब कर दिया है। मुख्य वन संरक्षक को सवा दस बजे व्यक्तिगत रूप से पेश होने का कहा गया है। इसके साथ ही वनों की आग की तपिश के प्रभाव को समझा जा सकता है। इस पेशी में वन संरक्षक को न्यायालय द्वारा पूछे गए तमाम सवालों का जवाब देना होगा।मंगलवार को यह आदेश मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की संयुक्त खंडपीठ ने दिया। गौरतलब है कि व्यापक जनहित से जुड़े मामलों को लेकर न्यायालय इस तरह के मामलों को स्वत संज्ञान लेता रहा है। यह मामला इन द मैटर ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ फॉरेस्ट एरिया फॉरेस्ट हेल्थ एंड वाइल्ड लाइफ जनहित याचिका के तौर पर लिया गया है।
इससे पहले अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली एवं राजीव बिष्ट ने न्यायालय के सम्मुख राज्य भर के जंगलों में लग रही आग की पूरी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अभी प्रदेश के कई जंगल आग से जल रहे हैं और सरकार इस संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। जबकि उच्च न्यायालय ने 2१६ में जंगलों को आग से बचाने के लिए गाइड लाइन जारी की थी।उन्होंने कहा कि न्यायलय ने गांव स्तर से ही आग बुझाने के लिए कमेटियां गठित करने को कहा था जिस पर आज तक अमल नहीं किया गया। सरकार जहां आग बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर का उपयोग कर रही है उसका खर्चा बहुत अधिक है और पूरी तरह से आग भी नहीं बुझती है। इसके बजाय गांव स्तर पर कमेटियां गठित की जाय। न्यायालय ने विभिन्न पेपरों में आग को लेकर छपी खबरों का गम्भीरता से संज्ञान लिया। न्यायालय ने सरकार से पूछा कि इसको बुझाने के लिए क्या—क्या उपाय किए जा रहे हैं इसकी जानकारी चौबीस घंटे के भीतर बताने को कहा गया है। न्यायालय ने यह भी कहा कि जहां एक ओर कोरोना चल रहा है पीडि़तों को सांस लेने में परेशानी हो रही है वहीं जंगलों में आग लगने से उनके लिए एक और समस्या उत्पन्न हो गयी है।