सल्ट पर लगी सबकी ताकत  

Bye election/ उप चुनाव

  • सभी पार्टियां अपने हिसाब से मतदाताओं को लुभाने में जुटीं
  • सहानुभूति वोट के सहारे भाजपा प्रत्याशी, कांग्रेस प्रत्याशी का भी मजबूत जनाधार

अमर श्रीकांत

देहरादून। सल्ट उप चुनाव में भाजपा और कांग्रेस सहित सभी पार्टियां अपने हिसाब से मतदाताओं को लुभाने में जुट गई हैं। पर जीत किसकी होगी, यह कहना काफी मुश्किल है। भाजपा ने महेश जीना को चुनाव मैदान में उतार कर दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के प्रति सहानुभूति वोट बटोरने की चाहत से लोगों को पटाना शुरू किया है।  जीना ने अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए काफी काम किया है। इसलिए भाजपा ने जीना के भाई को टिकट देकर सहानुभूति लहर को हवा देने की कोशिश की है। अब इसका असर मतदाताओं पर कितना पड़ेगा, यह तो चुनाव परिणाम आने पर ही पता चल पाएगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह उप चुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन हो चुका है।त्रिवेंद्र की जगह तीरथ मुख्यमंत्री बने हैं। तीरथ जब से मुख्यमंत्री के पद पर बैठे हैं उस समय से उनकी तबियत ठीक नहीं होने के कारण ज्यादा समय नहीं दे पाए हैं, हालांकि संगठन ने अपनी फौज सल्ट में उतार दी है। एक गंभीर समस्या यह देखने को मिल रही है कि शुरुआती दौर में स्टार प्रचारकों की सूची में दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों विजय बहुगुणा और त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम शामिल नहीं थे, हालांकि हाईकमान ने इस चूक को तुरंत सुधार दिया और भाजपा के इन दोनों दिग्गजों के नाम फिर से स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल कर दिया है। अब सूची में इन दोनों का नाम शुरू में जानबूझ कर शामिल नहीं किया गया या फिर भूलवश ऐसी घटना घटी। यह अब भी रहस्य का विषय बना हुआ है। पर इसेे लेकर मतदाताओं के दिमाग में कई तरह की भ्रांतियां हैं। लोग समझ नहीं पा रहे हैं।

संयोग कहिए या फिर दुर्भाग्य, सल्ट उपचुनाव इस तरह के माहौल में ही हो रहा है। इतना तो तय है कि भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी नये हैं। मुख्यमंत्री भी नये हैं और दोनों के लिए ही सल्ट चुनाव काफी अहम है। दोनों की अगुआई में ही सल्ट चुनाव हो रहा है। या फिर यह कहा जा सकता है कि तीरथ और कौशिक दोनों के लिए ही सल्ट चुनाव अग्नि परीक्षा है। इस परीक्षा में हाईकमान दोनों को ही साधने में जुटा हुआ है। यह बात सच है कि तीरथ और कौशिक को यहां की अंदरूनी हालत समझने में समय जरूर लगेगा। ऐसा नहीं है कि दोनों राजनीति में नये हैं। धुरंधर दोनों ही है लेकिन हालात जोखिम भरे हैं। इसलिए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी काफी चिंतित है।पहले तो यह लग रहा था कि शायद नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को सल्ट से ही हाईकमान चुनाव लड़ने की इजाजत दे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भाजपा हाईकमान की मंशा क्या है, यह भी स्पष्ट नहीं है। राजनीति के जानकार यह मानते हैं कि सल्ट चुनाव में सहानुभूति लहर का कुछ फायदा भाजपा को मिल सकता है। नेतृत्व परिवर्तन सल्ट के मतदाताओं के लिए कोई मायने नहीं रखता है। हां, विधानसभा चुनाव होता तब तो दिक्कत हो सकती थी। लेकिन फिलहाल ऐसी कोई बात दिख नहीं रही है। यह भी सच है कि राजनीति में कुछ भी संभव है। यह सब कुछ समयकाल पर निर्भर करता है।कांग्रेस की उम्मीदवार गंगा पंचोली को भाजपा उम्मीदवार के मुकाबले कम नहीं आंका जाना चाहिए। गंगा पूर्व विधायक भी रह चुकी हैं। साथ ही, मात्र तीन हजार से भी कम मतों से विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं। गंगा को टिकट दिलाने में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की भूमिका काफी अहम रही है। एक समय में हरीश रावत के करीबी रहे रणजीत रावत अपने करीबी को यहां से टिकट दिलाना चाह रहे थे, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए हरीश रावत, गंगा के पक्ष में थे और सोनिया गांधी ने भी हरीश रावत पर भरोसा करते हुए गंगा को ही टिकट देने का फैसला किया। गंगा की भी पकड़ सल्ट में ठीक ठाक है। खास बात यह है कि सल्ट चुनाव को लेकर कांग्रेस ने शुरू से ही भाजपा पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालने की कोशिश की है।स्टार प्रचारकों की सूची में सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया गया है। उप चुनाव में लगता नहीं है कि सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह आएंगे। लेकिन यह संभव है कि कांग्रेस राहुल या प्रियंका में से किसी एक को चुनाव प्रचार के लिए यहां से उतारे। कांग्रेस के पास स्थानीय स्तर पर कई मुद्दे हैं जिसे लेकर चुनाव प्रचार भी शुरू कर चुकी है। भाजपा के वरिष्ठ नेता डेरा डाल चुके हैं। पर जनता खामोश है। वह चुप्पी साधे हुए है। पिछले दिनों प्रदेश में आम आदमी पार्टी की भी सक्रियता काफी बढ़ी थी। लेकिन आम आदमी पार्टी की ओर से सल्ट में उम्मीदवार ही नहीं उतारा गया है।आम आदमी के पास  भाजपा और कांग्रेस की तरह कोई दमदार चेहरा ही नहीं है। जिस पर आम आदमी पार्टी अपना दांव खेल सके। सल्ट उप चुनाव में कुल 7 उम्मीदवार हैं जिसमें मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही माना जा रहा है।बहरहाल, सल्ट उप चुनाव में क्या होगा। इस पर भाजपा हाईकमान की खास नजर बनी हुई है। क्योंकि यह चुनाव तीरथ सिंह रावत और मदन कौशिक की अगुआई में हो रहा है। इस चुनाव परिणाम पर भविष्य की कई महत्वपूर्ण चीजें टिकी हुई हैं। इसलिए सल्ट उप चुनाव भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है। कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव काफी अहम है। क्योंकि इसके चुनाव परिणाम पर ही कांग्रेस आलाकमान भविष्य की रणनीति तय करेगा।

‘भाजपा पहले से ही इस उप चुनाव के लिए तैयार हैं। पार्टी के लिए कोई नयी बात नहीं है। भाजपा उम्मीदवार आसानी से चुनाव में सफलता हासिल करेगा। जीत भाजपा की ही होगी।’ -मदन कौशिक, अध्यक्ष, भाजपा।  

 ‘भाजपा उम्मीदवार इस उप चुनाव में धराशाई हो जाएगा। भाजपा में आपसी कलह इस कदर बढ़ गया है कि हाईकमान को नेतृत्व परिवर्तन करना पड़ा है। भाजपा नेता अपने कुनबे को सहेजने में जुटे हैं। कांग्रेस उम्मीदवार ताकतवर है और सफलता भी कांग्रेस को ही मिलेगी।’-प्रीतम सिंह, अध्यक्ष, कांग्रेस।

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