उत्तराखंडः प्राचीन धरोहर स्थलों में पर्यटन सुविधाएं विकसित होने से स्वरोजगार सृजित होंगे

शीघ्र ही फाउंडेशन के साथ होगा समझौता

उत्तराखंड पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि रुद्रप्रयाग जनपद के तहत नारायण कोटि मंदिर को सोशल लीगल रिसर्च एण्ड एजुकेशन फाउंडेशन की ओर से अंगीकृत किया जाएगा।उन्होंने  बताया कि इसके अंतर्गत, नारायण कोटि मन्दिर के परिसर में मूलभूत एवं आवश्यक सुविधाएं यथा:- पथ निर्माण, पथ प्रकाश हेतु लैम्प, कूड़ा निस्तारण, पेयजल, पार्किंग, बैंच, प्रवेश द्वारा, चारदीवारी आदि कार्य समयबद्ध रूप से किये जायेंगे। उन्होंने बताया कि इस सम्बन्ध में शीघ्र ही फाउंडेशन के साथ एक समझौता ज्ञापनहस्ताक्षरित किया जायेगा। जिसका प्रारूप तैयार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि एमओयू पर पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार प्रथम पक्षकार, उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद् द्वितीय पक्षकार, महानिदेशक, संस्कृति, उत्तराखण्ड तृतीय पक्षकार एवं सम्बन्धित फाउंडेशन चतुर्थ पक्षकार होंगे। श्री जावलकर ने बताया कि केन्द्र सरकार की यह एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसके अन्तर्गत महत्वपूर्ण विरासत स्थलों को निजी व्यक्तियों, संस्थाओं द्वारा अंगीकृत करते हुए इनका बेहतर रखरखाव सुनिश्चित किया जाता है। उन्होंने बताया कि विरासत के अंगीकरण परियोजना के अन्तर्गत, प्रथमदृष्ट्या राज्य के महत्वपूर्ण विरासत स्थलों यथा:-गरतांगगली- नीलांगवैली, पिथौरागढ़ किला, चांयशीलबगांण क्षेत्र, चौरासी कुटिया, सती घाट, नारायणकोटी मन्दिर आदि चयन का किया गया था। इसके अन्तगर्त सातवें फेज में विशेषज्ञ समिति द्वारा नारायणकोटि मन्दिर, रूद्रप्रयाग का चयन किया गया है। पर्यटन सचिव ने निजी संस्थाओं का आह्वन किया कि वे आगे आकर इन महत्वपूर्ण विरासत स्थलों के रखरखाव का दायित्व धारित करें तथा राज्य में बेहतर पर्यटन सुविधाओं का सृजन करते हुए स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अपना योगदान सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि इन प्राचीन धरोहर स्थलों में पर्यटन सुविधाएं विकसित होने से इनके आस-पास के क्षेत्रों में नये पर्यटन स्वरोजगार सृजित होंगे। ऐसा होने पर स्थानीय युवा टूरिस्ट गाईड, होमस्टे, टैक्सीट्रैवल, फास्ट फूड सेन्टर आदि क्षेत्रों में स्वरोजगार प्राप्त कर सकेंगे, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी और उत्तराखण्ड राज्य हैरीटेज टूरिज्म के लिए एक आदर्श गन्तव्य बन सकेगा।

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